MPPSC: पीएससी प्रश्नोत्तर विवाद मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सुनाया यह फैसला

Pooja Khodani
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Madhya Pradesh highcourt

जबलपुर, संदीप कुमार। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने मप्र लोक सेवा आयोग (MP Public Service Commission) की पीएससी प्रश्नोत्तर विवाद में दायर सात याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया है। हाईकोर्ट ने आयोग की पीएससी प्रारंभिक परीक्षा- 2020 में आदि ब्रह्म समाज की स्थापना किसने की थी’ के जवाब के मामले में सभी याचिकाएं निरस्त कर दी है और राजकीय गजट में प्रकाशित जवाब देवेंद्र नाथ टैगोर को सही माना है। इससे पहले 4 मार्च को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पीएससी के खिलाफ प्रश्नोत्तरी विवाद संबंधी याचिकाएं निरस्त कर दी हैं। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने फैसला सुनाते हुए पीएससी द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति का निर्णय को मान्य किया है और राजकीय गजट में प्रकाशित जवाब को सही माना है। विशेषज्ञ समिति ने पीएससी प्रारंभिक परीक्षा-2020 में पूछे गए सवाल-आदि ब्रह्म समाज की स्थापना किसने की थी, के उत्तर बतौर देवेंद्र नाथ टैगोर को सही निरूपित किया था।जबकि याचिकाकर्ता NCRT व मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी सहित अन्य प्रकाशकों की पुस्तकों के आधार पर केशवचंद्र सेन उत्तर को सही निरूपित करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

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उनकी तरह से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह और विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा था और कहा था कि आदि ब्रम्ह समाज की स्थापना केशव चंद सेन ने ही की है। आयोग द्वारा मान्य किया गया उत्तर आप्शन ‘ए’ के साथ- साथ आप्शन ‘बी’ भी मान्य किया जाना चाहिए क्यूकि गजेटियर मे कुछ भी लिखा हो छात्र तो प्रकाशित पाठ्य पुस्तकों का ही अध्ययन करते हैं।लेकिन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राजकीय गजट में प्रकाशित जवाब देवेंद्र नाथ टैगोर को सही माना है और केशव चंद सेन को सही जवाब बताने वाली याचिकाएँ ख़ारिज कर दी है। अब याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट की डिविज़न बेंच में यह अपील दाखिल की है कि दोनों जवाब सही मानकर अंक दिए जाएं, ताकि प्रारंभिक परीक्षा देने वाले याचिकाकर्ता मुख्य परीक्षा में शामिल हो सकें।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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