कमलनाथ का बीजेपी पर तंज, कहा- शर्मनाक! भगवान कहे जाने वाले अन्नदाता सड़कों पर हैं

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। केंद्र सरकार द्वारा लाए तीन कृषि कानून (Agricultural law) के विरोध में किसान सड़कों पर उतर आया है। जिसे लेकर लगातार सभी राज्यों में आंदोलन बढ़ता ही जा रहा है। वहीं एक ओर बीजेपी इस कानून का समर्थन कर रही है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस इसे काला कानून बता कर विरोध कर रही है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के बीच में भी सियासत गरमाई हुई है। बता दें कि 23 दिसंबर को पूरे देश में ‘किसान दिवस’ (Farmers’ Day) मनाया जाता है। जिसे लेकर पूर्व सीएम और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ (Congress state president Kamal Nath) ने ट्वीट कर राष्ट्रीय किसान दिवस की सभी किसान भाइयों को बधाइयां दी है, साथ ही बीजेपी पर निशाना साधा है।

कमलनाथ ने कहा है कि, ‘कैसी शर्मनाक स्थिति है, कि देश का अन्नदाता किसान आज अपनी मांगों को पूरी करने की गुहार को लेकर पिछले 27 दिन से कड़ाके की ठंड में देश की राजधानी की सीमाओं की सड़कों पर आंदोलन कर रहा है और केन्द्र की भाजपा सरकार हठधर्मिता कर रहे है।

 

‘किसान आंदोलन’ में गई 35 से अधिक किसानों की जान

कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट (Kamal Nath tweeted) में आगे लिखा है कि ‘केंद्र सरकार तानाशाही रवैया अपनाकर किसानों की मांगों (Farmers’ demands) को अनसुना कर रही है। अब तक इस आंदोलन में 35 से अधिक किसानों ने अपनी जान गंवाई है, लेकिन चुनाव के पूर्व भगवान कहे जाने वाला अन्नदाता आज भाजपा नेताओं को देशद्रोही, दलाल, नक्सलवादी नजर आ रहा है।

 

कांग्रेस निकालेगी ट्रैक्टर रैली

देश में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कांग्रेस विधायकों ने 28 दिसंबर को ट्रैक्टर पर सवार होकर विधानसभा जाने का निर्णय लिया है। साथ ही पूरे प्रदेश के किसानों को भोपाल बुलाने की तैयारी की जा रही है। किसान बिल को लेकर कांग्रेस ने इससे पहले भी बीजेपी पर हमला बोला था, जिसमें उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि अब किसान आतंकवादी, सांप, बिच्छू, कुकुरमुत्ता, पाकिस्तान-चीन-ख़ालिस्तान समर्थक नजर आ रहा है, ये बेहद शर्मनाक?

गृहमंत्री ने कांग्रेस पर बोला हमला

वहीं कांग्रेस ने 28 दिसंबर को विधानसभा का शीतकालीन सत्र (Assembly Winter Session) के पहले दिन ट्रैक्टर में बैठकर विधानसभा जाने का ऐलान किया है। जिसे लेकर बीजेपी नेता और प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Home Minister Narottam Mishra) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार थी, तो कोई भी कांग्रेसी खेत नहीं गया। ऐसे में अब कांग्रेस किसानों के नाम पर ढोंग कर रही है। आगे उन्होंने कहा कि सबसे पहले राहुल गांधी ने ट्रैक्टर के ऊपर सोफा लगाकर प्रदर्शन की शुरूआत की थी। और अब कमलनाथ इसकी पूर्ण आहूति देने जा रहे है।

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राहुल गांधी पर कसा तंज

इस दौरान नरोत्तम मिश्रा ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि राहुल गांधी को यह नहीं पता कि आलू जमीन के नीचे उगता है या ऊपर। आलू से सोना बनाने वाले, किसानों के नाम पर ठगी करने वाले, किसानों को धोखा देने वाले, कर्ज माफी का जुमला देने वाले और दस दिन में सीएम बदलने वाले, किसानों के हित का ढोंग करना अब बंद करें। आगे उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस ने 15 महीने के कार्यकाल में कुछ किया है तो उसे बताएं, उसके बाद ही किसानों के हित में बात करें।

‘किसान दिवस’ का इतिहास

23 दिसंबर को भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh, the fifth Prime Minister of India) का जन्म हुआ था। चौधरी चरण सिंह (Chaudhary Charan Singh) ने भारत में किसानों की स्थिति और जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं और नीतियां बनाई। जिससे की किसानों की स्थिति में सुधार लाया जा सके। इसी कारण पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्म दिन को ‘किसान दिवस’ (Farmer’s Day) के रूप में मनाया जाता है। साल 2001 से चौधरी चरण सिंह के सम्मान में हर साल 23 दिसंबर को ‘किसान दिवस’ मनाया जाता है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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