विजयराघवगढ़, डेस्क रिपोर्ट। सामाजिकता और रिश्तों को निभाने के लिए इस आधुनिक युग ने लोगों की मानसिकता ही बदल दी है। जब एक पिता लाचार होने के बाद अपनी सन्तानो पर आश्रित हो जाता है, उस समय आत्मीयता और रिश्तों का सच्ची परख होती है। आजकल देखा गया है कि पिता के आश्रित होते ही पुत्र उन्हें घर से बाहर का रिश्ता दिखा देते हैं। भले ही संतान कितना ही क्यों न कमा रहा हो वह दो वक्त की रोटी भी नहीं दे पाता। इसीलिए कुछ लोग अपने पिता को वृद्धाश्रम भी छोड़ आते हैं।
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इन विसंगितयों को हटाते हुए कटनी जिले के पूर्व मंत्री विजयराघवगढ विधायक श्री संजय सतेंद्र पाठक अपने पितृधर्म का पालन कर रहे हैं। इतना ही नहीं वह उनके इच्छाओं और तमन्नाओं को भी पूरा करने में लगे हुए हैं। यह उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने बुजुर्गों का तिरस्कार करते हैं। अब लोग भी इन्हे कलयुग का श्रवण कहने लगे हैं। पिता स्व सत्येंद्र पाठक पूर्व कैबिनेट मंत्री की जयंती और पुण्यतिथि में वह तन्मयता से खुद को अर्पित कर लेते हैं। अभी वह अपने पिता के निर्धन होनहार प्रतिभाशाली छात्रों के अध्ययन का सपना साकार कर रहे हैं।
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इससे पहले उनके पिता ने भी सेवा कार्यों में संकोच नहीं किया था। इसके पहले संजय पाठक ने बरही में शिविर के माध्यम से भोपाल के चिरायु अस्पताल को लेकर हजारों पीडितों की सेवाएं की थी, और अब पिता जी की स्मृति में 30 हजार वर्गफीट में जिला अस्पताल बनाया जा रहा है, 7 करोड़ की लागत से। जिसका भूमि पूजन मुख्यमंत्री शिवराज करेंगे। संजय पाठक ने सभी क्षेत्रों में संबंधों के निर्वहन की असीम ऊंचाइयां हासिल करी हैं। उनकी विचारधारा समंदर सी गहरी और ऊर्जा सूर्य सा तेज है।
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आज हर लोगों की जबान पर उनका नाम है, ऐसे में आज उनके पिता जहाँ भी होंगे वह अपने सुयोग्य कर्तव्यनिष्ठ पुत्र पर अभिमान कर रहे होंगे। संजय पाठक की पिता के प्रति प्यार अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणादायी है। अन्य लोग भी यही आशा करते हैं कि उनके पुत्र भी ऐसे ही उनका सम्मान करेंगे और रिश्तों को ताउम्र बनाये रखेंगे।
Disclaimer – सहारा समय की वरिष्ठ पत्रकार वंदना तिवारी की फेसबुक वाल से