खंडवा। सुशील विधानि।
डॉ. सी.वी. रामन् विश्वविद्यालय, छैगांव माखन में 24 नवंबर (रविवार) को विश्वविद्यालय की एनसीसी इकाई ने एनसीसी दिवस मनाया और मृदा एवं जल संरक्षण पर परिचर्चा की। साथ ही विद्यार्थी जीवन में अनुशासन और समय प्रबंधन का भी महत्व बताया। इस दौरान गर्ल्स एनसीसी कैडेट ने एनसीसी गीत भी प्रस्तुत किया।
इस दौरान विश्वविदयालय के कुल सचिव श्री रवि चतुर्वेदी ने एनसीसी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि केवल हम बातों से ही नहीं, पेड़ लगाकर ही मृदा अपरदन को रोक सकते हैं जैसे एक विश्वविद्यालय बच्चों को एक सूत्र में बांधे रखता है, वैसे पेड़ों की जड़ें मिट्टी को थामे रखती हैं, इससे मिट्टी का कटाव नहीं होता। इस क्षेत्र में हमें काफी कार्य करने की आवश्यकता है। जब तक हम अपने आसपास के पर्यावरण का ध्यान नहीं रखेंगे, तब तक हम भावी पीढ़ी को अच्छा वातावरण उपलब्ध नहीं करवा पाएंगे। हमें अपनी जमीन को बचाना है तो ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे। इसी तरह जल संरक्षण के लिए भी हमें अभी से प्रयास करने होंगे और वो प्रयास तभी सार्थक होंगे जब हम पूरी ईमानदारी से इस कार्य में जुटेंगे। अभी तो बोतलों में पानी बिक रहा है, अगर हम अब भी नहीं चेते तो हालात और भयावह हो जाएंगे।
इससे पहले सहायक कुल सचिव श्री लुकमान मसूद ने एनसीसी की आधारभूत जानकारी दी। उन्होंने कहा मिट्टी और पानी जीवन की मूलभूत आवश्यकता है। अगर हम इनका मितव्ययिता से उपभोग करें तभी सब लोग इसका उपयोग कर पाएंगे। आज भी कई गांवों में लोगों को पानी समय पर नहीं मिल पा रहा है। इस कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हमें आवश्यकता है कि इसका संरक्षण किया जाए।
इस दौरान विश्वविद्यालय की एनसीसी इकाई की प्रभारी सहायक प्राध्यापक मिति गुप्ता ने एनसीसी दिवस और मृदा एवं जल संरक्षण के संबंध में जानकारी दी। इस दौरान विश्वविद्यालय के बीए प्रथम सेमेस्टर की छात्रा अक्षता ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि हम अपने जन्मदिन पर कैंडल बुझाने की जगह एक पेड़ लगाएं तो हमारा भविष्य काफी सुनहरा हो सकता है। साथ ही सह प्राध्यापक डॉ. शिवेंद्र शर्मा, सहायक प्राध्यापक श्री साजिद मंसूरी, श्री रविशंकर कानूड़े, श्रीमती पदमा हाड़ा सहित अन्य ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक सुश्री मंगला पाटील ने किया। आभार प्रदर्शन सह प्राध्यापक डॉ. भावना बाजपेयी ने किया। कार्यक्रम में एनसीसी प्रभारी निशि लाड़ सहित अन्य प्राध्यापकगण और विद्यार्थी भी मौजूद थे।