खंडवा, सुशील विधानी। खंडवा वैसे नवाचारों के लिए जाना जाता है, आए दिन नित नए नवाचार होते रहते हैं,ऐसा ही एक अलग अंदाज सोमवार को सामनें आया, करोना काल के बाद आज जब स्कूल खुले तो शिक्षकों द्वारा बच्चों को एकत्रित कर ढोल धमाकों के साथ इसको ले गए बच्चे भी काफी उत्साहित थे। लगभग 1 वर्ष के बाद स्कूल खुल रही थी बच्चों का कहना है कि स्कूल खुलने से अब पढ़ाई भी होंगी और हम परीक्षा देंगे और आगे बढ़ेंगे हम आपको बता दें कि लगभग 17 महीने बाद आज से चरणबद्ध नीति के तहत स्कूल खुल रहे हैं। बच्चे उत्साहित तो हैं, पर इस लंबे अंतराल के आलस्य से भी घिरे हैं। अभिभावक चाहकर भी बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं। स्वाभाविक है, एक तरफ कोरोना संक्रमण की आने वाली तीसरी लहर का भय है और साथ ही बीती दो लहरों के भयावह अनुभव भी। घर में रहकर, आनलाइन पढ़ाई करके बच्चों का बहुत भला तो नहीं हुआ। हां, बीमारी के प्रकोप से जरूर सुरक्षित रहे। लंबे अंतराल अभिभावकों के साथ रहना सुरक्षा कवच की तरह रहा।
रेल मंत्रालय का फरमान, RPF जवानों की जेब में कितना है कैश, ड्यूटी से पहले बताना हुआ जरूरी
अब जब स्कूल खुल रहे हैं तो बच्चे भी काफी उत्साहित हैं आज शिक्षकों द्वारा बच्चों को एकत्रित कर उनके घर से एक रैली के रूप में ढोल ताशों के बीच स्कूल ले जाया गया बच्चे काफी उत्साहित हैं शिक्षकों ने भी बड़े उत्साह से बच्चों का स्वागत किया। स्कूलों में शाला प्रवेशोत्सव भी मनाया गया। तिलक लगाकर बच्चों का अभिनंदन किया गया। कोरोना से बचाव के लिए शासन की गाइड लाइन का पालन करते हुए सोमवार को स्कूलों को खोला गया। पहले दिन शाला प्रवेशोत्सव मनाया गया। इस आयोजन को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थियों को कम संख्या में बुलाने कहा गया था। स्कूल जाने पर कोरोना काल में नकारात्मक प्रभाव उनके शारीरिक, मानसिक, सामाजिक दुष्प्रभाव पर दिखने लगा है। स्कूल खोलने के फैसले के साथ वहां कोरोना संक्रमण से बचाव को नियमों का पालन करेंगे साथी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर अपनी शिक्षा को भी आगे बढ़ाएंगे