खरगोन।
मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में आज तीन बेटियों ने अपने पिता को कंधा देकर मुखाग्नि दी। पेशे से इंजीनियर जयप्रकाश जायसवाल का कोई लड़का नही था। समाजिक कुरीतियों को किनारे करते हुए तीन बेटियों ने अपने पिता को कंधा देकर मुखाग्नि देने का फैसला किया। पिता को आदर्श मानकर उनके बताये मार्ग पर चलने वाली बेटियों ने साबित किया की बेटी भी बेटे से कम नहीं हैं। इस दौरान पिता के आदर्शों पर प्राकृतिक चिकित्सा क्षेत्र को बढ़ावा देकर लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का भी बेटियों ने संकल्प लिया।
मृतक जयप्रकाश जायसवाल उम्र 77 वर्ष थी। उन्होंने अपनी चारो बेटियों को बेटे की तरह ही पाला था। उन्होंने तीन बेटियों को प्राकृतिक चिकित्सा की शिक्षा दिलवाई थी. एक बेटी आस्ट्रेलिया मे होने की वजह से अंतिम संस्कार मे शामिल नहीं हो पाई। पिता ने सभी को अच्छी परवरिश , तालीम और संस्कार दिए थे जिसका नतीजा है कि आज सभी बेटियां बेटों की तरह खुद के पैरों पर खड़ी है। हालांकि सभी की शादियों हो चुकी है।
जयप्रकाश जायसवाल खरगोन की विवेकानन्द कालोनी में निवास करते थे। जायसवाल सिंचाई विभाग में रिटायर्ट सुप्रिटेंडेंट इंजीनियर रहे थे। बेटियों ने पिता की अंतिम यात्रा गाजे -बाजे के साथ खुद अपना कंधा देकर निकाली। शवयात्रा में समाजजन और शहर के गणमान्य नागरिक शामिल हुए। शहर के कुंदा तट स्थित मुक्तिधाम में बेटियों ने पिता को मुखाग्नि दी।