मुरैना, संजय दीक्षित। कोरोना काल में समाज की कई धारणाएं टूटी है। जहां मुरैना (Morena) जिले में 17 वर्षीय नीतू ने अपने पिता को शमसान घाट में मुखाग्नि दी। पंकज सोनी की कोरोना संक्रमण (Corona Virus) के चलते मौत हो गई। ऐसे में बेटी नीतू ने रोते हुए कहा कि ‘मेरे भाई नहीं है तो क्या हुआ’ मैं ही अपने पिता की बेटी और बेटा दोनों थी, मैं अपने पिता को मुखाग्नि दूंगी। यह सुनकर वहां मौजूद लोगों ने इसकी जानकारी नगर निगम के एचओ जगदीश टैगोर को दी। निगम ने अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी और कांडों का इंतजाम किया और मासूम बेटी ने आंखों में आंसू लेकर अपने पिता के शव को मुखाग्नि दी।
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45 वर्षीय पंकज सोनी मूलतः खंडवा के रहने वाले थे और मुरैना में रहकर हलवाई का काम करते थे। पंकज सोनी कुछ समय पहले ही अपनी पत्नी संध्या व इकलौती बेटी नीतू (17) के साथ किराए के घर में रहने के लिए जौरी गांव में आये हुए थे। कोरोना जैसे लक्षण आने पर पंकज को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। नाते-रिश्तेदार भी कोरोना की वजह से आवागमन का साधन न होने के कारण मुरैना में नहीं आ सके। जिस कारण उनकी मासूम बेटी ने कोरोना किट पहनकर अपने पिता को शमसान घाट में मुखाग्नि दी।
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इसके साथ ही अस्थि विसर्जन के लिए मासूम बेटी नीतू मथुरा के लिए जाएगी। जिसका आने जाने का निगम ने रिजर्वेशन कराया और नगद 1500 रुपए खर्चे के लिए भी दिए। मृतक पंकज के अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थियों का विसर्जन मथुरा में होना है। इसके लिए नगर निगम ने 1500 रुपए एकत्रित कर इस पीड़ित परिवार को दिए। वहीं मथुरा से आने-जाने का रिजर्वेशन भी कराया है, ताकि उसे आने-जाने में किसी तरह की कोई परेशानी न हो।
अंतिम संस्कार के लिए नहीं थे रुपये
पंकज के निधन के बाद उसकी पत्नी संध्या पर मानो मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा हो। घर में इतने रुपये भी नहीं कि पति के शव को मुक्तिधाम ले जाकर उसका अंतिम संस्कार भी कर सके। नगर निगम ने मुक्तिधाम में ही लकड़ी-कंडों का इंतजाम कराया। जब बेटी आंखों में आंसू लिए अपने पिता को की पार्थिव देह को मुखाग्नि दे रही थी तब वहां मौजूद लोगों की आंखें भर आई और मासूम बेटी को समझाया कि इस आपदा में धैर्य से काम करें।