आजाद भारत का एक गांव जहां 1947 से बिजली नहीं, सरकारी योजनाएं भी सिर्फ कागजों में

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मुरैना, नितेंद्र शर्मा। देश अभी कुछ दिन बाद अपना आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मनाने जा रहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेक इन इंडिया की बात करते हैं वही हिंदुस्तान की कुछ जगह ऐसी भी है जो आम आदमी की मूलभूत सुविधाओं से अभी भी वंचित हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं मुरैना जिले के एक ऐसे ही गांव की जो की आजादी से लेकर आज तक विद्युत सेवाओं से वंचित ही है और यह गांव को मिलने वाली सरकारी योजनाओं से भी कोसों दूर है।

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तहसील सबलगढ़ से लगभग 50 किलोमीटर राजस्थान बॉर्डर के पास पंचायत बरेठा ग्राम माजरा फैलाया एक ऐसा गांव है जो की मुरैना के अन्य ग्राम पंचायत से काफी पिछड़ा हुआ नजर आता है, कारण है सरकारी योजनाओं का लुप्त होना। इस गांव का यह हाल है की सन् 1947 से इस गांव में लाइट नहीं है इस गांव में जीवन यापन करने वाले लोग ज्यादातर मजबूर या फिर किसान हैं खेतों की सिंचाई के लिए इस गांव के लोगों ने पास के जिले श्योपुर से अवैध रूप से लाइट ले रखी है जिसका इन लोगों को ₹1 लाख साल का देना होता है इसमें भी लाइट बहुत कम आती है एक दिन आती है 4 दिन गायब। इस गांव का इतना बुरा हाल है की प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना जैसी योजनाएं भी यहां विफल होती हुई नजर आती है,जो गांव वालों को अभी तक कच्चे मकान में रहने के लिए विवश कर रही है। परेशान लोग जब अधिकारियों से गुहार लगाते है तो जिला कलेक्टर बी कार्तिकेय उनका आवेदन जरूर ले लेते है लेकिन किसी भी तरह कोई आश्वसन नहीं दे पाते।

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जब एमपी ब्रेकिंग की टीम विद्युत विभाग के महाप्रबंधक पीके शर्मा को समस्या से अवगत करने के लिए आवेदन लेकर गई तो साहब ने मिलने से ही मना कर दिया ,लोगों में बेहद नाराजगी है उनका कहना है कि कमाल है मुरैना का प्रशासन और सबसे कमाल है कलेक्टर जो की ठान के बैठे हैं की ना तो हम समस्या सुनेंगे और ना ही उसका समाधान करेंगे। जब लाइट जैसी मूलभूत सुविधा ही आम जनमानस को उपलब्ध ही नहीं है तो सरकारी योजनाओं की लाभ की बात तो दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती। फिलहाल कई बार आवेदन देंने  के बाद भी जब हालात ही सुधरे तो लोग इन्ही विपरीत परिस्थितियों में गुजारा करने मजबूर है।


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Harpreet Kaur

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