सियाचिन में शहीद हुए अम्बाह के जवान विवेक तोमर को दी अंतिम विदाई, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

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Morena Martyr Vivek Tomar : सियाचिन में देश के लिए शहीद हुए मध्यप्रदेश के मुरैना के अम्बाह के जवान  विवेक सिंह तोमर का मंगलवार को उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया,  शहीद को अंतिम विदाई देने बड़ी संख्या में जनसमूह उमड़ा, परिजनों ने नम आँखों से अपने सपूत को अंतिम विदाई दी, वही शहीद विवेक सिंह के भाई ने शासन-प्रशासन पर गुस्सा जाहिर किया है। उन्होंने नाराजगी जहैर करत हुए आरोप लगाया कि प्रशासन ने शहीद भाई के अंतिम संस्कार के लिए जमीन तक नहीं दी। वही उनके अंतिम संस्कार में न तो जनप्रतिनिधि और न ही कोई अधिकारी परिजनों को ढाढ़स बँधाने पहुंचा। करीबन एक हफ्ते बाद शहीद जवान विवेक सिंह तोमर की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव पहुंची। यहां उनके बड़े बेटे अर्धमन ने अपने पिता को मुखाग्नि दी।

सियाचिन में शहीद हुए अम्बाह के जवान विवेक तोमर को दी अंतिम विदाई, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

ऐसे हुआ हादसा 

अंबाह की एमएलए कॉलोनी में रहने वाले रुअर गांव के विवेक तोमर बुधवार 11 जनवरी को सियाचिन में शहीद हो गए थे। दरअसल हादसा उस समय हुआ जब थार्मोस्टेटिक बिल्डिंग में तापमान नियंत्रक में आई खराबी के चलते पूरी बिल्डिंग में धुंआ हो गया। धुआँ निकलते देख सभी जवान फौरन बिल्डिंग से बाहर निकल आए, उसी दौरान बिल्डिंग से बाहर निकल आए विवेक वापस बिल्डिंग के अंदर पहुंचे और उन्होंने इस तकनीकी खराबी को दूर करने का प्रयास किया, विवेक ने धुएं  के बावजूद  तकनीकी खराबी को दुरुस्त किया, लेकिन सुधार कार्य के दौरान विवेक खुद सांस न ले पाने की स्थिति में आ गए, उनकी बिगड़ती हालत देख उनके साथी उन्हे लेकर फौरन अस्पताल दौड़े, लेकिन अफ़्सोस उन्होंने रास्ते में दम तोड़ दिया। मगंलवार को शहीद जवान विवेक सिंह तोमर की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव पहुंची।

सियाचिन में शहीद हुए अम्बाह के जवान विवेक तोमर को दी अंतिम विदाई, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

परिजनों का आरोप 

घटना से बेहाल परिवार सदमे में है लेकिन वही शहीद के भाई धर्मेंद्र सिंह तोमर ने सरकार और स्थानीय प्रशासन पर आरोप लगाए है, धर्मेन्द्र सिंह तोमर का कहना है कि ‘हम देश के लिए जान देने को तैयार है। मेरा भाई देश के लिए शहीद हो गया, लेकिन शासन-प्रशासन हमारी कोई मदद नहीं कर रहा है। शहीद विवेक के लिए हमें जमीन तक उपलब्ध नहीं करवाई गई और तो और उनके अंतिम संस्कार में कोई नेता या अधिकारी भी नहीं पहुंचा। बाद में स्थानीय ग्रामीणों ने शहीद विवेक के अंतिम संस्कार के लिए जमीन दी। धर्मेन्द्र का आरोप है कि  मैं शहीद का प्रमाण पत्र लेकर अंतिम संस्कार की जमीन के लिए एसडीएम कार्यालय गया था। एसडीएम वहां थे नहीं, उनके कम्प्यूटर ऑपरेटर ने हमें नायाब तहसीलदार विकास भदौरिया के पास भेज दिया। उन्होंने बताया कि ये लॉ एंड ऑर्डर के खिलाफ है। हम ऐसे जमीन नहीं दे सकते है।शहीद के भाई धर्मेन्द्र का कहना है कि प्रशासन ने उन्हे अंतिम संस्कार के लिए जमीन साफ करने के लिए जेसीबी तक उपलब्ध नहीं करवाई।

अधिकारियों का यह है कहना 

इस मामलें में अधिकारियों का कहना है कि शहीद विवेक के भाई ने स्मारक बनवाने के लिए जमीन मांगी थी लेकिन इस तरह का कोई प्रावधान या नियम नहीं है। हालांकि नियमानुसार उनकी मदद की जाएगी।


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Harpreet Kaur

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