मुरैना, संजय दीक्षित। जिले के वन विभाग की टेंडर प्रक्रिया की नीलामी विवादों के घेरे में आ गयी है, जहां डीएफओ का ट्रांसफर तो हो गया लेकिन नवागत डीएफओ ने चार्ज नहीं लिया। इससे पहले ही डीएफओ अमित निकम ने टेंडर की प्रक्रिया को 2 दिन में ही शुरू करने के बाद खत्म भी कर दिया हैं। बताया जा रहा है कि शनिवार को भोपाल के एक अखबार में उसकी विज्ञप्ति प्रकाशित की गई तथा सोमवार को फार्म भरने की अंतिम तिथि 2 बजे तक रखी गई तथा उसके 2 घंटे बाद ही नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। उसके बाद बंधा गांव के ग्रामीणों ने जब वन मंडल अधिकारी के कार्यालय में जाकर देखा तो उनके कागज समय पर पूरे न होने के कारण उनको विभाग से वापस कर दिया।
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वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग के डीएफओ ने अपने चहेते लोगों को टेंडर प्रक्रिया में शामिल कर लिया और उनके 2 घंटे बाद टेंडर खोलने की प्रक्रिया को करते हुए पूरी कर ली गई। वहीं ग्रामीणों के द्वारा बताया गया है कि अवैध रेत से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को विभाग के द्वारा पकड़ा गया था जिसकी सूचना संबंधित ट्रैक्टर ट्रॉली चालकों को क्यों नहीं दी गई और इन ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को औने पौने दामों में बेचने की प्रक्रिया को कबाड़ियों से मिलकर पूरी कर दी गई, जबकि जिले के मौजूदा डीएफओ का ट्रांसफर भोपाल हो चुका है, उनकी जगह पर नवागत डीएफओ स्वरूप रविंद्र दीक्षित का मुरैना स्थान पर किया गया है, उनके आने से पहले ही टेंडर प्रक्रिया के मामले में सांठगांठ करने के बाद पूरी कर ली गई है। अब देखना होगा ग्रामीणों के ट्रैक्टर-ट्रॉलियों वन डिपो में रखे हुए हैं क्या उनको विभाग के द्वारा मिल पाएंगे या फिर अधिकारियों की सांठगांठ से कबाड़ियों को बेच दिए जाएंगे। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि अगर टेंडर प्रक्रिया को निरस्त नहीं किया गया तो कोर्ट की शरण में जाएंगे।