पेशी से लौट रहे तीन लोगों को घेरकर गाड़ी पर अंधाधुंध फायरिंग, फिर किया तलावारों और पत्थरों से किया हमला, 3 घायल

Amit Sengar
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मुरैना,संजय दीक्षित। ग्वालियर कोर्ट से आम्र्स एक्ट के मामले में पेशी से लौट रहे कार सवार तीन युवकों पर मंगलवार को एक दर्जन के करीब लोगों ने अंधाधुंध फायरिंग की। इसके बाद युवकों पर तलवारों और पत्थरों से हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। घायलों को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

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बताया जाता है कि घायलों की हमला करने वाले युवकाें से लंबे समय से दुश्मनी चली आ रही थी। जिस पर पूर्व में दोनोें ही गुटों पर हत्या के प्रयास के मामले भी दर्ज किए गए थे। यह हमला नूराबाद थाना क्षेत्र के जडेरूआ गांव के पास हाइवे पर हुआ हैं। जहां पहले से तैयारी में खड़े हमलावरों ने ट्रक लगाकर हाइवे जाम किया, जिससे कार रूकी और दोनों ओर से फायरिंग कर दी। कार सवारों को गोली नहीं लगी तो तलवार व पत्थराें से हमला कर घायल किया।

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बता दे कि गांधी कालोनी निवासी शिवम पुत्र मुकेश शर्मा पर एक महीने पर आम्र्स एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। जिसकी पेशी पर वह अपने बड़े भाई सिद्धर्थ शर्मा व एक दोस्त विकास शर्मा के साथ कार से ग्वालियर गया। जब तीनों ही पेशी से घर लौट रहे थे उसी समय जडेरूआ गांव के पास हाइवे पर सड़क पर एक ट्रक रूका दिखा। जिस पर कार चला रहे सिद्धार्थ ने कार को धीमा कर रोका। इसी बीच वहां पहले से ही खड़े एक दर्जन के करीब लोगों ने कट्टा से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी।

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फायरिंग से बचने के लिए कार सवार तीनों युवक नीचे झुक गए। हमलावरों ने सबसे पहले कार के चारों टायरों में गोली मारी। जिससे दौड़ न सके। इसके बाद लगभग एक दर्जन गोलियां कार पर मारी। लेकिन तीनों ही कार सवार फायरिंग में बच गए। लेकिन हमलावरों ने इसके बाद तलवारों से शिवम व सिद्धार्थ पर हमला किया। जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके साथ ही कार व घायलों पर बड़े पत्थर भी पटके।इसके बाद सूचना मिलते ही नूराबाद थाना पुलिस उन्हें लेकर जिला अस्पताल लेकर पहुंची। जहां उनका इलाज किया जा रहा है। वहीं पुलिस ने फरियादी की रिपोर्ट पर मामला दर्ज कर मारपीट करने वालों की तलाश शुरू कर दी है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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