नीमच। कमलेश सारडा। मादक पदार्थों की तस्करी के मामले मालवा में नए नहीं हैं लेकिन इस बार जिस मामले का खुलासा हुआ है वह बेहद चौंकाने वाला है। एक साल के अनुसंधान के बाद नीमच के विशेष न्यायालय एनडीपीएस एक्ट में सीबीएन द्वारा एक प्रकरण का चालान पेश किया गया जिसमें ड्रग माफियाओं के साथ व्यापारियों और पुलिस के गठजोड़ का बड़ा खुलासा हुआ है। खास बात यह है कि शहर के बीच से यह काला कारोबार लंबे समय से संचालित किया जा रहा था और पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
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दरअसल खुद को मंडी व्यापारी बताने वाले जय सबनानी उर्फ बाबू सिंधी के इंडस्ट्रियल एरिया स्थित गोदाम पर 26 अगस्त 2021 में केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो द्वारा छापामार कार्रवाई कर लगभग 25 हजार किलो अफीम डोडा चूरा, अफीम के काले दाने और मादक पदार्थ मिश्रित गेहूं की बड़ी खेप जब्त की थी। बाबू सिंधी के साथ 3 लोगों को मौके से सीबीएन ने गिरफ्तार किया था। इसकी जब जांच शुरू हुई तो एक के बाद एक व्यापारियों और माफियाओं के साथ पुलिसकर्मियों के काले कारनामों की परतें खुलती गई। करीब एक वर्ष तक अनुसंधान के बाद सीबीएन द्वारा हाल ही में विशेष न्यायालय में चालान पेश किया गया है जिसके अनुसार बाबू सिंधी के अलावा व्यापारियों, तस्करों और इस अवैध कारोबार में प्रत्यक्ष जुड़े हुए 10 लोगों के खिलाफ चालान पेश किया गया। इनमे एक नीमच सीटी थाने पर पदस्थ रहा पुलिस आरक्षक पंकज कुमावत भी शामिल है, जो अब तक गिरफ्तार हुए 6 लोगों के साथ जेल में बंद है चार आरोपी फरार हैं। जबकि लगभग इतनी ही संख्या में संदिग्ध नाम भी चार्जशीट में शामिल किए हैं जिनके खिलाफ अनुसंधान जारी है। चार्जशीट पर गौर करें तो यह पूरा मामला पुलिस की मिलीभगत का है जिसमे अधिकारियों से लगाकर निचले स्तर तक का मामला जमा रहता था।
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खास बात यह है कि इस प्रकरण के मुख्य आरोपी बाबू सिंधी के जन्मदिन पर बंदूक से केक काटने का वीडियो वायरल हुआ था जिसमें तत्कालीन थाना प्रभारी नरेन्द्रसिंह ठाकुर भी दिखाई दिए थे। वायरल वीडियो के बाद ठाकुर को निलंबित कर दिया गया था। प्रकरण के अमुसन्धान में राज खुला है कि तस्करी का यह गिरोह अफीम डोडा चुरा के साथ अफीम मिश्रित काले पोस्त दाने का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर करने लगे थे, गिरोह के कनेक्शन राजस्थान, पंजाब, और हरियाणा सहित अन्य राज्यों से भी जुड़े थे। व्यापारियों के साथ गेंहू में डोडाचूरा पाउडर और काले दाने मिलाकर रातोंरात खेप तैयार कर ट्रकों से बाहर भेजी जाती थी। इस अवैध कारोबार से अर्जित करोड़ो रूपये गिरोह के सदस्य रियल इस्टेट के कारोबार में लगाते थे। अब तक आरोपियों द्वारा अर्जित करोड़ो रूपये कीमत की संपत्तियों की जानकारी नारकोटिक्स ब्यूरो द्वारा एकत्रित की गई है, तथ्यों के आधार पर सफेमा एक्ट के तहत मुम्बई सफेमा कोर्ट में अलग से प्रकरण प्रस्तुत करने की कार्रवाई की जा रही है।
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यह पहला ऐसा मामला है जिसमें व्यापारियों की तस्करों के साथ जुगलबंदी तो हुई ही, साथ ही जिस पुलिस को माफियाओं की कमर तोड़ने की जिम्मेदारी मिली है उसी पुलिस का एक आरक्षक पूरे जिले के पुलिस बल को ही नहीं बल्कि आला अधिकारियों को भी अपने इशारे पर नाचा रहा था। पंकज कुमावत को संदिग्ध गतिविधियों के कारण नीमच से देवास स्थानांतरित किया गया था लेकिन उसका मन वहां नहीं लगा। लगातार अनुपस्थित रहने के कारण उसे बर्खास्त कर दिया गया है। बर्खास्त आरक्षक पंकज की पुलिस में बाल आरक्षक के रूप में भर्ती हुई थी लेकिन वह आरक्षक बनते ही तस्करी के रास्ते पर दौड़ने लगा, उसकी और परिवार की संपत्ति का आकलन करोड़ो में हुआ है अब इस मामले में भी करवाई की तैयारी है। गौरतलब है कि नीमच जिला अफीम उत्पादन के लिए दुनियाभर में विख्यात है, अफीम और मादक पदार्थों की तस्करी की रोकथाम के लिए यहां पुलिस के अलावा मप्र पुलिस नारकोटिक्स विंग और केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो तैनात है फिर भी इतने लंबे समय से यहां मिलीभगत से यह गोरखधंधा चल रहा था। बहरहाल नीमच का यह मामला देशभर में सुर्खियों में है।