नीमच, कमलेश सारडा। नगर पालिका चुनावों के रिजल्ट भाजपा के पक्ष में आने के बाद नीमच (neemuch) नगर सरकार का मुखिया कौन होगा, और किसके सिर अध्यक्ष का ताज सजेगा, ये बात इन दिनों काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। हां… ये जरूर है कि, चेहरे जरूर सामने है, पर इन चेहरों में वो कौनसा चेहरा है। जिसे भाजपा के और से अध्यक्ष के लिए चुना जाता है, लेकिन क्या संगठन में अपने ही पार्षदों के टूटने का डर है, या फिर कोई अलग ही एजेंडे पर काम यहां चल रहा है, ये एक बड़ा सवाल सामने आया है।
ये बात यूही नहीं कह रहे है… बल्कि ये बाते चर्चाओं में सामने आई है कि, जीते हुए भाजपा पार्षदों को एक साथ बुलाकर संगठन की और से एक बैठक एक दिन पहले ही हुई, जिसमे नवनिर्वाचित पार्षदों को ये पाठ पढ़ाया गया कि, हमें किसी के बहकावे में नहीं आना है, और ना ही हमें यहां से कही जाना है, मोबाईल भी बंद किसी के नहीं हो। ये ही नहीं बल्कि, बात तो यहां तक चर्चाओं में है कि, पार्टी भी सभी पार्षदों को कहीं भेज सकती है। ऐसे में ये एक बड़ा सवाल तो है ही कि, संगठन के नेताओं को ऐसा क्या डर है कि, जो वे नए पार्षदों को कहीं जाने आने से रोकने के साथ ही मोबाईल बंद न करने की हिदायत दे रहे है। क्या कोई डर नेताओं को है कि, कहीं उनके पार्षदों में टूट-फुट कोई ना कर लें… क्योकि इस बार ज्यादा भाजपाई पार्षद जीत कर आये नहीं है, ऐसे में अगर 4 पार्षद यहां वहां हुए तो भाजपा का अध्यक्ष बन नहीं पाएंगे।
जब संगठन स्तर पर नवनिर्वाचित पार्षदों को ऐसी हिदायते दी जा रही हो तो और भी कई सवाल सामने आते है, क्या कोई गुप्त एजेंडे पर तो कहीं काम नहीं हो रहा है। जिसकी भनक संगठन स्तर तक पहुंची हो, और फिर एकाएक अगले ही दिन सभी पार्षदों की क्लास ले ली गई, क्या कोई कांग्रेस की और से अध्यक्ष बनाने की कोशिशे करने लगा है, या फिर भाजपा में ही कोई लॉबिंग शुरू हो गई है। जिसके चलते भाजपा नेताओं को डर सता रहा हो कि, कही वे जैसा सोच रहे हो वैसा नहीं हो पाएंगे।
वैसे हमें जो जानकारी मिली है, उससे पता चला है कि, स्थानीय स्तर पर अब अध्यक्ष को लेकर ज्यादा कुछ होना नहीं है। ये मामला ऊपर से ही तय होना है, नाम 6 सामने दिखाई पड़ते है, जिसमे सबसे पहला नाम वन्दना खंडेलवाल दूसरा रंजना करण परमाल का है, तो तीसरा किरण शर्मा का नाम दिखाई पड़ता है, जबकि चौथे नंबर पर अब स्वाति गौरव चौपड़ा का नाम आता है। जबकि इसी दौड़ में, कुसुम अशोक जोशी और छाया जायसवाल भी है, अब इन्हीं में से किसी एक को नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी मिलने वाली है, लेकिन उससे पहले जो कुछ भाजपा में घाट रहा है, वो ये साफ बताता है कि, संगठन के नेतृत्वकर्ताओं को कोई तो डर सता रहा है। जिसके चलते अभी से अपने ही पार्षदों को साधने की कोशिश हो रही है।