Gwalior News: NHM के नए अस्पताल में ICU नहीं, क्षेत्रीय लोगों ने जताई नाराजगी  

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। मध्यप्रदेश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के दावे हुए संकल्प शिवराज  सरकार(Shivraj Government) के मंत्री बारबार दोहराते रहते हैं लेकिन धरातल पर इसकी हकीकत कुछ और होती है। ऐसा ही एक मामला ग्वालियर में देखने को मिल रहा है जहाँ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत बन रहे एक 30 बिस्तर के अस्पताल में ICU की व्यवस्था नहीं है।  अस्पताल की प्लानिंग सामने आने के बाद स्थानीय लोगों ने इस पर आपत्ति जताई है और ICU बनाये जाने की मांग की है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत शहर के दीनदयाल नगर में 30 बिस्तर का अस्पताल बनाया जा रहा है। एक बड़ी आबादी के लिहाज से ये अस्पताल बहुत उपयोगी साबित होगा लेकिन ख़ास बात ये है कि  4.38  करोड़ की लागत से बन रहे इस अस्पताल में आईसीयू (ICU) नहीं बनाया जा रहा है। ये बात सामने आने के बाद दीनदयाल नगर विकास समिति के सदस्यों ने इसपर आपत्ति जताई है।  दीनदयाल नगर विकास समिति के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र सक्सेना एडवोकेट ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन की तत्कालीन कैबिनेट मंत्री माया सिंह के प्रयासों से 30  बिस्तर का अस्पताल मंजूर हुआ था जो अब आकर ले रहा है लेकिन इसमें ICU नहीं है जो बहुत आवश्यक है।

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डॉ धर्मेंद्र सक्सेना के मुताबिक खास बात ये है कि 4.38 करोड़ की लगत वाले इस अस्पताल पर कुल 3 करोड़ रुपये व्यय आना है। 20 प्रतिशत बिलो पर टेंडर  निर्माण एजेंसी के पास लगभग 87 लाख रुपये मूल राशि में से बचेंगे जबकि ICU के निर्माण पर अनुमानित 43 लाख का खर्च आएगा। यानि इसपर अतिरिक्त राशि की आवश्यकता नहीं होगी।  जिसका प्रस्ताव दीनदयाल नगर समिति के अनुरोध पर हाऊसिंग बोर्ड ने नेशनल हेल्थ मिशन भोपाल कार्यालय को भेजा जा चुका है। लेकिन उसपर अब तक विचार नहीं किया गया है।

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समिति के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र सक्सेना एडवोकेट ने बताया कि समिति के सदस्यों ने इस सम्बन्ध में एक ज्ञापन ग्वालियर के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर को सौंपा है जिसके बाद सांसद ने नेशनल हेल्थ मिशन के डायरेक्टर को पत्र लिखकर इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का अनुरोध किया है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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