लिव इन में रहने वाली महिलाएं पूरी प्रक्रिया होने के बाद ही लगा पाएंगी दुष्कर्म का केस, यह है वजह

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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में लिव इन रिलेशन (Live in Relationship Law) में रहने वाले लोगों के लिए हाल ही में एक फैसला लिया गया है कि महिला की शिकायत पर सीधे दुष्कर्म का केस (Rape Case) दर्ज नहीं किया जाएगा। दरअसल, प्रदेश में लगातार रेप के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। इसको देखते हुए महिला सुरक्षा शाखा ने आदेश जारी किए है। क्योंकि लोग साथ में रहने के बाद जब एक दूसरे को छोड़ देते है तो रेप केस दर्ज करवा देते हैं। इस वजह से मामले और तेजी से बढ़ते जा रहे हैं।

ऐसा अब आगे ना हो इसलिए महिला सुरक्षा शाखा ने दुष्कर्म के मामलों में सजा दर का अध्ययन किया उसके बाद ये फैसला लिया कि अब बिना जांच पड़ताल के कोई कार्यवाई नहीं की जाएगी। साथ ही सीधा केस भी दर्ज नहीं किया जाएगा। इसको लेकर सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को इस फैसले के निर्देश जारी कर भेज दिए गए है। जानकारी के मुताबिक, अध्ययन में ये पता चला है कि 80 प्रतिशत महिलाऐं अपने बयान देने के बाद पलट जाती है और फिर समझौता कर लेती हैं। ऐसे में ज्यादा तक केस की महिलाऐं लिव इन रिलेशन में रहती है।

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जानकारी के मुताबिक, दुष्कर्म के मामलों में जब अध्ययन किया गया तो ये बात सामने आयी कि 80 प्रतिशत महिलाएँ लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बावजूद जब वह रेप का केस दर्ज करवातीहै तो बाद में वह अपने बयान से पलट कर, आरोपी से खुद समझौता कर लेती है। ऐसे में दुष्कर्म के मामले में अब तक सिर्फ़ तीस से 35 फ़ीसदी लोगों को ही सजा मिली है। इसलिए अब यह फ़ैसला किया गया है कि महिलाओं की शिकायत पर डायरेक्ट दुष्कर्म का मामला दर्ज नहीं किया जाएगा। इस पर पहले जाँच की जाएगी, उसके बाद ही मामला दर्ज किया जाएगा।

कहा गया है कि जब भी ऐसा कोई केस सामने आएगा तो इसको लेकर पहले काउंसलिंग की जाएगी। उसके बाद शिकायत सही पाए जाने पर MP पुलिस द्वारा केस दर्ज किया जाएगा। हालांकि महिला सुरक्षा शाखा का निर्देश यह है कि लिवइन रिलेशन में रहने वाली लड़की अगर बालिक होगी तो ही ऐसा किया जाएगा।ग़ौरतलब है कि अब तक दुष्कर्म के मामले में मध्यप्रदेश में सिर्फ़ 26 फ़ीसदी आरोपियों को ही सज़ा मिली है। इसको लेकर जिला न्यायालयों में कुल 392 में मामले में से 293 मामले में आरोपी दोषमुक्त हो चुके हैं।


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Ayushi Jain

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