बीना जंक्शन से हो रहा महज 50 ट्रेनों का संचालन, यात्रियों की परेशानियों में हुआ इजाफा

Gaurav Sharma
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बीना,डेस्क रिपोर्ट। कोरोना महामारी के चलते सरकार धीरे-धीरे सभी क्षेत्रों को राहत दे रही है। जिसके तहत रेल प्रशासन के तहत चलने वाली ट्रेनों को भी राहत पहुंचाई है। जिसके बाद कई स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही है, ताकि लोग अपने घर पहुंच सकें। इसी कड़ी में बीना जंक्शन से वर्तमान में पौने दो सौ से ज्यादा ट्रेनों में से महज 50 ट्रेनें ही चल रही हैं, जिसके कारण लोगों को दीवाली पर घर जाने और आने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

यात्री लगातार ट्रेनों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहे है, लेकिन रेलवे सिर्फ उन्हीं ट्रेनों को चला रही है जिससे उसे फायदा हो, जिनकी क्लोन ट्रेनें तक चलाई जा रही है, तो वहीं दूसरी ओर कई दिशाओं के लिए एक भी ट्रेन की शुरूआत नहीं की गई है।

कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन के कारण रेलवे ने ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया था, जिसे अब धीरे-धीरे शुरू किया जा रहा है, लेकिन त्योहारी मौसम में यात्रियों की सुविधा पर रेलवे द्वारा कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है, वहीं अभी जो भी ट्रेन रेलवे द्वारा चलाई जा रही है, उन सभी ट्रेनों में यात्रियों को बिना रिजर्वेशन के यात्रा करने की अनुमति नहीं है।

लोगों को हो रही परेशानी

जिस जंक्शन से आम दिनों में 24 घंटों में पौने दो सौ से ज्यादा ट्रेनें चलती थी, वहां से भी महज 50 ट्रेनों को ही चलाया जा रहा। जो ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है वो कुछ साप्ताहिक है तो कुछ सप्ताह में दो से तीन दिन, तो कुछ ट्रेनें एक ही नाम से अलग-अलग दिन में अलग-अलग दिशाओं में चल रही हैं।

ऐसा करने से नंबर ऑफ काउंटिंग तो बढ़ी है, लेकिन उसका लाभ आम आदमी को नहीं मिल पा रहा है। दीवाली पर लोग स्पेशल ट्रेनों की संख्या बढ़ने की उम्मीद लगा रहे है, जिससे वे त्योहार पर घर आ जा सकें। वहीं बीना से खजुराहों जाने वाली एक भी ट्रेन को अभी तक शुरू नहीं किया गया है। जिससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

लोकल ट्रेनों का संचालन है जरुरी 

वहीं लोकल ट्रेनों के नहीं चलने से लोगों को रिजर्वेशन कराके यात्रा करनी पड़ रही है, जिसके कारण उन्हें आर्थिक रूप से भी काफी नुकसान हो रहा है। कई रूट ऐसे है भी है  जहां पर शहर से सीधी बसें भी नहीं चलती है, ऐसे हालातों में लोगों को निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है, जोकि उनकी जेब पर घहरा असर डाल रहा है। लोगों को हो रही इस समस्या की जानकारी स्थानीय स्तर से उच्चाधिकारियों को भी दी गई पर रेलवे इसपर सुध नहीं ले रहा। लोकल ट्रेनों में अगर बीना-दमोह, बीना-गुना, बीना-भोपाल के बीच रिजर्वेशन से ही पैसेंजर ट्रेनों को चलाया जाएगा, तो लोगों को सफर करने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी।

इन ट्रेनों का हो रहा नियमित संचालन

  • कामायनी एक्सप्रेस
  • केरला एक्सप्रेस
  • कुशीनगर एक्सप्रेस
  • भोपाल एक्सप्रेस
  • कर्नाटका एक्सप्रेस
  • साबरमति एक्सप्रेस
  • समता एक्सप्रेस
  • मंगला एक्सप्रेस
  • रीवांचल एक्सप्रेस

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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