भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। जनसाधारण (masses) के लिए जहां पेट्रोल (petrol) और खाद्य सामग्री (food items) के बढ़े हुए दामों (increased price) को स्वीकार करना मुश्किल हो रहा था, वहीं अब कपड़ों (clothes) के दामों (price) में भी वृद्धि (hike) होने से आम जन का रहना- खाना और मुश्किल हो गया है। पंद्रह दिन के भीतर ही कपड़ों के दाम 25 से 40 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। रेडीमेड इंडस्ट्री (readymade industry) पर इसका सीधा असर दिखाई पड़ रहा है। जिसकी वजह से अंदेशा जताया जा रहा है कि अप्रैल से रेडीमेट कपड़ों के भाव भी 50 प्रतिशत तक बढ़ जाएंगे। दाम में इतना उछाल लगभग 40 वर्षों बाद आया है।
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कारोबारियों का मानना है कि कपड़े के दामों में इस तरह का उछाल 1975 के आस-पास देखा गया था। वस्त्र निर्माण में काम आने वाला ‘आरएफडी’ क्वालिटी का कपड़ा जिसका मूल्य पहले 135 रुपए मीटर था वही अब 175 से 180 रुपए प्रति मीटर में बिकने लगा है। मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा थोक कपड़ा बाजार इन्दौर में हैं। एमटी क्लॉथ मार्केट नाम से प्रख्यात इस कपड़ा बाजार के व्यपारियों के अनुसार इस कदर बढ़ रहे कपड़ों के दाम हैरान कर देने वाले हैं।
आखिर क्या है कपड़ों के तेजी से बढ़ते दामों की वजह:
टेक्सटाइल मिलें हर दिन दाम बढ़ाती ही जा रही हैं। इंदौर के व्यापारी सुरेन्द्र छाजेड़ के अनुसार सूरत और भीलवाड़ा में बनने वाले सिंथेटिक कपड़ों में ही 30 से 35 प्रतिशत तक की तेजी है। इसी तरह से टेक्सटाइल मिलें हर दिन दाम बढ़ा रहीं हैं। अब यूरोप तक के देश कपड़ा बनाने में काम आने वाली सामग्री चीन से न लेकर भारत से ले रहे हैं। पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ने से सिंथेटिक यार्न भी महंगा हो गया है। केमिकल्स और रंगने वाले पदार्थ भी महंगे हो गए हैं। यही सब कारण हैं जिसके चलते कपड़ा भी अब मंहगा हो गया है।