Gwalior News : जयारोग्य अस्पताल से इलाज के दौरान बंदी फरार, जेल प्रहरी निलंबित

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल (JAH Gwalior) में इलाज करवा रहा गंभीर बीमार बंदी (Prisoner) जेल प्रहरी को चकमा देकर फरार हो गया, वे एक बार पहले भी फरार हो चुका है जिसके बाद इसे गिरफ्तार कर लिया गया था, आज शनिवार को फिर ये बंदी (Prisoner) सुरक्षा में तैनात जेल प्रहरी को चकमा देकर फरार हो गया। जेल अधीक्षक ने लापरवाही के चलते जेल प्रहरी को निलंबित कर दिया है।

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ग्वालियर सेन्ट्रल जेल अधीक्षक मनोज कुमार साहू (Gwalior Central Jail Superintendent Manoj Kumar Sahu) ने बताया कि सागर से ग्वालियर इलाज के लिए भेजे गए गंभीर बीमार बंदी (Prisoner) मोहन का जयारोग्य अस्पताल में पिछले एक महीने से इलाज चल रहा था। उसे टीबी की बीमारी है और खून की उल्टियां करता है। इलाज के दौरान उसकी सुरक्षा में जेल प्रहरी तैनात थे आज शनिवार को सुबह 5 से 6 बजे के बीच बंदी (Prisoner) मोहन जेल प्रहरी पंकज अग्रवाल को चकमा देकर फरार हो गया। प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर जेल प्रहरी पंकज अग्रवाल को निलंबित कर दिया है।

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ग्वालियर सेन्ट्रल जेल अधीक्षक मनोज कुमार साहू  (Gwalior Central Jail Superintendent Manoj Kumar Sahu)ने बताया कि बंदी (Prisoner) मोहन दुष्कर्म का आरोपी है , वो गंभीर बीमार है , उसे खून की उलटी होती है जिसके इलाज के लिए दिसंबर में भी बंदी (Prisoner) को जयारोग्य अस्पताल (JAH Gwalior) में भर्ती कराया गया था, लेकिन वो अस्पताल से फरार हो गया था जिसे पुलिस ने पकड़कर जेल भिजवा दिया था। थोड़े दिन बाद वो जेल में फिर खून की उलटी करने लगा तो उसे फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया  जहाँ एक महीने से बंदी का इलाज चल रहा है। ग्वालियर सेन्ट्रल जेल अधीक्षक मनोज कुमार साहू (Gwalior Central Jail Superintendent Manoj Kumar Sahu) ने बताया कि  बंदी (Prisoner)  की पत्नी मां और बच्चे भी इलाज के दौरान अस्पताल के बाहर मौजूद थे लेकिन बंदी (Prisoner) मोहन ने इनकी भी चिंता नहीं की और फरार हो गया।  उन्होंने पुलिस थाने में इसकी शिकायत दर्ज करा दी है पुलिस फरार बंदी (Prisoner) की तलाश कर रही है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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