Privilege-विधानसभा अध्यक्ष से पूछ रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, आखिर मेरा अधिकार क्या है!

भोपाल डेस्क –आम आदमी को न्याय के लिए भटकते देखने के किस्से तो रोजाना हजारों की तादाद में मिल जाएंगे। लेकिन मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष (Former Legisltive Assembly Speaker) और बीजेपी (BJP) के सीनियर विधायक डॉ सीताशरण शर्मा (Dr.Sitasaran Sharma) की कहानी कुछ अलग ही है। उन्होंने विधानसभा से जानना चाहा है कि आखिरकार उनका प्रिविलेज (Privilege) यानी विशेषाधिकार क्या है? विधानसभा से उत्तर का डॉक्टर शर्मा को अभी तक इंतजार है।

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मामले की शुरुआत कमलनाथ सरकार (Kamalnath Government) के समय से हुई। उस समय डॉ सीताशरण शर्मा इटारसी से भाजपा के विधायक थे। जाहिर सी बात है, विपक्ष में होने के चलते अधिकारी सुनते भी नहीं थे। इटारसी में आए नए नवेले आईएएस हरेंद्र नारायण (IAS Harendra Narain) से डॉ सीताशरण शर्मा की पटरी शुरू से नहीं बैठी। डॉ शर्मा ने जब हरेंद्र नारायण पर रेत के अवैध उत्खनन में पार्टनर होने के आरोप लगाए तो हरेंद्र नारायण ने उनके ऊपर ही अवैध रेत खनन को संरक्षण देने का आरोप लगा दिया। इसके बाद दोनों की तकरार बढ़ती ही गई और शर्मा जब भी हरेंद्र नारायण को विधायक के रूप में पत्र लिखते तो हर पत्र के जवाब में एसडीएम (SDM) का जवाब आता कि विधायक को उन्हें निर्देश देने का कोई अधिकार नहीं। इतना ही नहीं, विधायक निधि के दुरुपयोग के आरोप में शर्मा के खिलाफ एसडीएम ने थाने में मामला तक दर्ज करा दिया जबकि शर्मा ने उस विधायक निधि का कोई उपयोग नहीं किया था। हर तीन महीने में विधायक द्वारा बुलाई जाने वाली बैठक को भी एसडीएम (SDM) ने खुद ही कर लिया।ये तीन मामले ऐसे थे जिन्हें लेकर सीताशरण शर्मा ने विधानसभा का दरवाजा खटखटाया और एसडीएम के खिलाफ विशेषाधिकार (Privilege) हनन के तहत कार्रवाई करने की मांग की।


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Virendra Sharma

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