जुनून ऐसा कि उजाड़ जंगल को हरा भरा कर दिया 60 साल के रामनाथ ने

Gaurav Sharma
Published on -

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। हरियाली ,पेड़-पौधे किसे पसंद नहीं होते, लेकिन क्या कभी आपने पेड़ पौधों के लिए ऐसा जुनून देखा या सुना है जिसमें व्यक्ति ने हरियाली के लिए उजड़े हुए जंगल को दोबारा से हरा भरा कर दिया हो। जीवन के लिए पेड़ पौधे बहुत जरूरी है और इसी महत्व को बडी बखूबी तरीके से कटनी जिले के खम्हरिया गांव के रहने वाले रामनाथ कोल ने समझा। उन्होंने ने ऐसा काम कर दिखाया है जिसे कोई सोच नहीं सकता। रामनाथ ने बीते 25 सालों से उजाड़ पड़े एक जंगल को फिर से हरा भरा कर दिया है। उनकी इसी मेहनत के कारण आसपास के लोग उन्हें जंगल बाबा के नाम से पुकारने लगे हैं।

दरअसल आज से 25 साल पहले रामनाथ ने देखा कि राजस्व वन पूरी तरीके से उजाड़ और सुखा पड़ा है। जिसके बाद उन्होंने इस जंगल को दोबारा से हरा-भरा करने का जिम्मा उठा लिया, उन्हीं की मेहनत का नतीजा है कि सालों से जो पेड़ रूखे और बेजान पड़े हुए थे। अब वो फिर हरी-भरी पत्तियों से लहरा रहे हैं। उन्होंने जब जंगल को संवारने का काम शुरू किया था, तब जंगल में सिर्फ पेड़ों के ठूंठ ही थे। हालांकि शुरुआत में उन्हें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उसी हिम्मत का नतीजा है कि धीरे-धीरे पेड़ों में कोपले फूटने लगी और आज यह पेड़ मजबूती से खड़े हैं।

हरियाली के लिए तस्करों से भिड़ गए जंगल बाबा

जंगल को हरा-भरा करने का सफर इतना आसान नहीं था। पेड़ पौंधों से जंगल को फिर आबाद करने के लिए जंगल बाबा बीते कई सालों में तस्करों से भी भिड़ चुके हैं। जब तस्करों ने देखा कि उजाड़ जंगल दोबारा से आबाद हो रहा है तो उनकी नजर जंगल की लकड़ी पर पड़ने लगी। लेकिन जंगल बाबा ने तस्करों को उनके मंसूबो में कामयाब नही होने दिया। जंगल बाबा ने ठान ली थी कि वो इस जंगल से किसी को भी लकड़ी नहीं काटने देंगे और हुआ भी यही कि कई बार तस्कर जंगल तो आए लकड़ी काटने  के मकसद से लेकिन लकड़ी नहीं ले जा पाए।

पूरा परिवार करता है जंगल की रखवाली

जंगल की रखवाली करने में बाबा के साथ उनकी धर्मपत्नी रामवती और उनके 2 बेटे उनका पूरा साथ देते है। जंगल की रखवाली अच्छे से हो सके इसके लिए जंगल बाबा जंगल के ही बीच में एक छोटी सी झोपड़ी में रहते हैं। बता दें कि रामनाथ ने 50 हेक्टेयर से ज्यादा वन क्षेत्र को हरा भरा किया है।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

Other Latest News