Indore: पौष कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर आज सुबह 5 बजे प्राचीन रणजीत हनुमान मंदिर से रणजीत हनुमान की प्रभातफेरी निकाली जा रही है। यह फेरी इस समय हर साल निकाली जाती है, हर साल भक्तों के लिए यह बेहद ही खास होती है, भक्तजन इस दिन को लेकर बहुत ही उत्साहित रहते हैं, महीने भर पहले से इसकी तैयारी में जुट जाते हैं, व्यवस्थाओं का इंतजाम करते हैं।
पिछले साल फेरी में लगभग साढ़े तीन लाख के आसपास लोग इकट्ठे हुए थे। इस बार भी अनुमान लगाया जा रहा है, कि लगभग 5 लाख लोग शामिल हो सकते हैं। बाबा के प्रति भक्तों की गहरी श्रद्धा और आस्था इस आयोजन को और भी खास बना देती है।
कैसे हुई इस प्रभातफेरी की शुरुआत
आपके भी मन में कभी ना कभी ऐसा सवाल जरूर आता होगा, कि आखिर प्रभातफेरी की शुरुआत कैसे हुई और जब शुरुआत हुई थी तो क्या-क्या हुआ करता था, तो हम आपको बता दें, इस यात्रा की शुरुआत के पहले वर्षों में पुजारी और कुछ भक्त भगवान की तस्वीर हाथ में लेकर परिक्रमा करते थे।
लेकिन 1985 में प्रभातफेरी को ठेले पर निकालने की शुरुआत हुई। तब यह यात्रा महूनाका चौराहा तक निकाली जाती थी और धीरे-धीरे यह आयोजन बड़े स्तर पर आयोजित होने लगा, धीरे-धीरे अनेक लोग भी शामिल होने लगे।
साल 2015 में पहली बार रथ पर निकाली गई थी प्रभातफेरी
2015 वह साल था, जब पहली बार प्रभातफेरी रथ के द्वारा निकाली गई थी, साल 2015 के बाद देखते ही देखते हर साल भक्तों की भीड़ ज्यादा से ज्यादा उमड़ने लगी, और आज का यह दिन है जब लाखों श्रद्धालु प्रभातफेरी में अपनी श्रद्धा भक्ति दिखाने के लिए शामिल होते हैं।
दूसरे शहर से भी शामिल होने आते है भक्त
जैसे-जैसे समय बढ़ता गया, वैसे-वैसे प्रभात फेरी और भी भव्य होती गई, जिसमें श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ने लगी। आज यह आयोजन भक्तों के लिए इतना बड़ा धार्मिक उत्सव बन गया है, कि न सिर्फ इंदौर बल्कि इंदौर के बाहर के लोग भी इस प्रभातफेरी में शामिल होने के लिए आते हैं, और महीने पहले से तैयारी भी करते हैं।
भक्तों का उत्साह
मुख्य पुजारी दीपेश व्यास के अनुसार, हर साल इस प्रभातफेरी में शामिल होने वाले भक्तों की संख्या बढ़ती जाती है। यह प्रभातफेरी अब सिर्फ इंदौर शहर तक सीमित नहीं रही है, बल्कि आसपास के शहरों से भी बड़ी संख्या में लोग इस पवित्र प्रभातफेरी में शामिल होने के लिए आते हैं। दूर-दराज से लोग दो-तीन दिन पहले ही इंदौर आ जाते हैं और अपने प्रियजनों, परिवारजनों और रिश्तेदारों के घर रुकते हैं और प्रभातफेरी में शामिल होते हैं।
झांकियां, भजन और श्रद्धालुओं का उत्साह
झांकियां, भजन मंडलों, बग्घी और रथ सभी प्रभात फेरी की शोभा बढ़ा रहे थे। रविवार रात 10 बजे से ही मंडल के सदस्य इन्हें क्रमबद्ध करने में जुट गए थे। पूरे मार्ग को भगवा ध्वजाओं से सजाया गया। यह प्रभात फेरी महूनाका, अन्नपूर्णा मंदिर और नरेंद्र तिवारी मार्ग होते हुए मंदिर वापस आई और हर स्थान पर श्रद्धालुओं ने इसे बड़े उत्साह श्रद्धा के साथ स्वागत किया।