Ratlam News : मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में स्थित ‘दारुल उलूम आयशा सिद्धीका लिलबिनात’ मदरसे पर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा 31 जुलाई को छापा मारा था, जिसमें कई गंभीर अनियमितताएं सामने आई थी। बता दें कि इस मदरसे में बच्चियों को अवैध रूप से रखा गया था, जहां जीवन-यापन की सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही थीं। छापे के दौरान आयोग ने पाया कि बच्चियों को फर्श पर सोने के लिए मजबूर किया जा रहा था। उनमें से कई बीमार थीं, जिनमें से एक 8 वर्षीय बच्ची तेज बुखार से पीड़ित थी। इन गंभीर अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए आयोग ने तल्ख टिप्पणियां की है। साथ ही सरकार से मदरसे पर कठोर कार्रवाई करने की मांग की।
संचालक ने किया ये दावा
वहीं, मदरसा संचालक स्थानीय स्तर पर मामले को खुदबुर्द करने की कोशिश कर रहा है। प्रशासन को भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार को भेजे गए प्रतिवेदन में आयोग ने मदरसे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की सिफारिश की है ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हो सकें। संचालक अब यह दावा कर रहे हैं कि उनकी कोई गलती नहीं है और मप्र बाल संरक्षण आयोग की कार्रवाई को गलत ठहराने का प्रयास कर रहे हैं। मदरसा संचालक ने आयोग ने जांच के दौरान अनेक खामियां पाई थीं, अब शानदार कालीन बिछा दी है ताकि प्रशासन को लगे कि वहां की स्थिति बेहतर है।
पोर्टल बंद होने के कारण नहीं कर पाए आवेदन- अध्यक्ष
मदरसा संचालन समिति के अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ का दावा है कि मदरसा बोर्ड का पोर्टल बंद होने के कारण वे मान्यता के लिए आवेदन नहीं कर पाए। उन्होंने यह भी कहा कि मदरसे की नई कमेटी छह माह पूर्व बनी है और जो कमियां सामने आती जाएंगी, उन्हें सुधारने का प्रयास किया जाएगा। हालांकि, इस मदरसे के संचालन को लेकर कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं। दस्तावेजों से पता चलता है कि छह माह पूर्व ही जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा बनाई गई एक जांच समिति ने इस मदरसे की गंभीर कमियों की ओर इशारा किया था। उस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से लिखा गया था कि “मदरसे में 150 बालिकाएं हैं, जिन्हें सामान्य शिक्षा नहीं मिल पा रही है और मदरसे में कोई रिकॉर्ड या दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे।”