सागर, डेस्क रिपोर्ट। राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत (Govind Singh Rajpoot) गोवर्धन पूजा पर पारंपरिक नृत्य करते एवं गाते हुए नजर आए। सागर जिले के सुरखी विधानसभा विकासखंड जैसीनगर में गोवर्धन टोरिया स्थित भगवान गोवर्धन पूजा के अवसर पर वे परंपरागत मुनियों का बरेदी नृत्य करते हुए दिखे।
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राम भरोसे जो रहे सो वो पर्वत पर भी लहराए रे..इन पंक्तियों के साथ राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने मोनियों के साथ बरेदी नृत्य करते हुए पारंपरिक दिवारी गाई और जमकर मुनियों के साथ नृत्य किया। उनके साथ मेले में आए हजारों लोग भी नृत्य का आनंद लेते नजर आए। मोनिया नृत्य कृष्ण भक्ति से जुड़ा यह नृत्य गोपालक मौन व्रत रखकर उनके साथी नाचते गाते हुए निकलते है। यह देव उठनी ग्यारस तक चलता है। जैसीनगर स्थित गोवर्धन मंदिर में राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत शुक्रवार को पूजन करने पहुंचे जहां उन्होंने गोवर्धन मंदिर में विधि विधान से पूजा अर्चना कर क्षेत्रवासियों की सुख समृद्धि की कामना की। मौनियों का स्वागत करने के साथ ही वो मेले में मुनियों के साथ उनकी थाप पर नृत्य किया दिवाली गाई। उन्होंने कहा कि मोनिया, बरेदी नृत्य हमारी परंपरा है जिसमें मोनिया मौन धारण कर अपने संकल्प अनुसार ग्रामों का भ्रमण करते हैं यह परंपरा बुंदेलखंड में ही नहीं अब देश के अन्य हिस्सों में भी मोनिया, बरेदी नृत्य प्रचलन में आ रहा है जो हमारे लिए गौरव की बात है हमारी परंपरा को लोग आत्मसात कर रहे हैं ।उन्होंने गोवर्धन पूजन पर क्षेत्रवासियों को दीपावली , एवं गोवर्धन पूजा की बधाई देते हुए शुभकामनाएं दी।
मेले में पहुंचे राजस्व एवं परिवहन मंत्री ने मेले में दिवारी गीत ही नहीं गया बल्कि मेले में लगी दुकानों से खरीदी कर दुकानदारों का उत्साहवर्धन भी किया। उन्होंने कहा कि यह मेला हमारी परंपरा है जो कि आर्थिक स्थिति से भी जुड़ा हुआ है मेले लगते रहने चाहिए। इस अवसर पर मंडल अध्यक्ष जितेंद्र सिंह, साहब सिंह ,पप्पू दुबे सूखा ,राजकुमार धनोरा, राजू बडोनिया, गौरी शंकर सोनी, नीरज जैन, डब्बू आठिया, डॉक्टर पहलाद, पंचम राजपूत, पप्पू तिवारी, मुन्ना पांडे, अरविंद जैन धीरज सिंह, लखन ठाकुर, नरेंद्र अहिरवार, अंकुर चौरसिया सहित बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता मौजूद रहे। बता दें कि जयसिंह नगर इलाके में यह प्रसिद्ध मेला लगता है जहां पर उत्सव का माहौल होता है। यहां मौनी लोग मौन रखते हैं और 12 गांव का चक्कर लगाते हैं। ये मन ही मन संकल्प भी लेते हैं। इसके बाद यहां पर दीपावली मनाई जाती है और देव उठनी ग्यारस तक मेला चलता है। बुंदेलखंड इलाके की यह प्राचीन प्रथा है।