सरकारी कर्मचारियों का कारनामा, अपने खातों में ट्रांसफर करवाए किसान फसल बीमा के 63 लाख रुपये, FIR दर्ज

Atul Saxena
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Sehore News : भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के बावजूद सरकारी कर्मचारी बेख़ौफ़ हैं वे ना सिर्फ ऑफिस में बैठकर रिश्वत ले रहे हैं बल्कि सरकारी पैसों को मिलीभगत कर अपने खातों में ट्रांसफर भी करवा रहे हैं, ताजा मामला सीहोर जिले की इछावर तहसील का है, जहाँ किसान फसल बीमा की 63 लाख रुपये की राशि चार कर्मचारियों ने अपने खातों में ट्रांसफर करवा ली,  जांच के बाद एस डी एम ने चारों कर्मचारियों के विरुद्ध पुलिस थाने में FIR दर्ज करवाई है।

बेमौसम बारिश, ओले, आंधी जैसी प्राकृतिक आपदा से नष्ट हुई फसल से वैसे ही किसान बर्बाद हो जाता है उसकी खून पसीने की कमाई और मेहनत पल भर में मिट्टी में मिल जाती है, ऐसे में सरकार उसकी मदद के लिए आगे आती है तो कुछ सरकारी कर्मचारियों की गिद्द द्रष्टि उस राशि पर पड़ जाती है।

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ऐसा ही एक मामला सीहोर की इछावर तहसील में सामने आया, पिछले दिनों इछावर तहसील के ग्रामों में ओलावृष्टि से कई किसानों की फसल नष्ट हो गई, ओलावृष्टि से हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य शासन ने फसल क्षतिपूर्ति दावा राशि (फसल बीमा राशि) जारी की, शासन की तरफ से किसानों के लिए 63 लाख रुपये की राशि जारी की गई।

शासन द्वारा जारी 63 लाख रुपये की दावा राशि हितग्राही किसानों के खाते में जाना थी लेकिन इछावर तहसील कार्यालय में कार्यरत पटवारी, नाजिर और दो कंप्यूटर ऑपरेटर की इस पर नीयत ख़राब हो गई उन्होंने मिलकर फर्जी तरीके से 171 किसानों की राशि को खातों व नामो में हेरफेर कर अपने खातों में ट्रांसफर कर डकार ली।

जब राशि किसानों के खाते में नहीं पहुंची तो सुगबुगाहट शरू हो गई , मामले की शिकायत हुई और फिर जांच में पता चला कि उक्त राशि किसानों के खाते में जाने के बजाय तहसील कार्यालय में कार्यरत पटवारी, नाजिर और दो कंप्यूटर ऑपरेटर के बैंक  खातों में पहुँच गई है।

मामला खुलने के बाद सीहोर कलेक्टर ने तहसीलदार को दोषी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ एफ आई आर कराने के निर्देश दिए, इछावर एसडीएम विजय कुमार यादव ने बताया कलेक्टर के निर्देश पर इछावर पुलिस थाने में चारों कर्मचारियों के विरुद्ध मामला दर्ज करा दिया गया है।

सीहोर से अनुराग शर्मा की रिपोर्ट


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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