दरअसल पिछले दिनों शहडोल के कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल में छह बच्चों की मौत के बाद सुबह 2 बच्चों की हालत नाजुक बनी हुई थी। जिसके बाद डॉक्टर ने सुबह के 9:00 बजे दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया। इस मामले में डॉक्टरों का कहना है कि दोनों बच्चों की मौत निमोनिया (Pneumonia) की वजह से हुई है। दोनों बच्चों को देर रात अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था।
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इधर शहडोल जिला अस्पताल में एक-एक कर हो रहे बच्चों की मौत से जिले में हड़कंप की स्थिति मच गई है। वहीं स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी कई गहरे सवाल खड़े हो गए हैं। इधर इस मामले में सीएमएचओ राजेश पांडे (CMHO Rajesh Pandey) का कहना है कि निमोनिया के चलते बच्चों की मौत हो रही है। इसके साथ ही अस्पताल प्रबंधन पर लगातार मामला छुपाने के आरोप भी लगते रहे हैं।
दूसरी तरफ मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है इस मामले में जांच कर प्रतिवेदन जल्द से जल्द सरकार को सौंपा जाए। सीएम शिवराज (CM Shivraj) ने कहा कि यदि इस मामले में डॉक्टर और स्टाफ दोषी पाए जाते हैं तो ऐसे लोगों पर फौरन कार्रवाई की जाएगी।
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आपातकाल बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था की प्रदेश में कहीं भी व्यवस्था में कमी हो उसे तत्काल दूर किया जाए। वहीं उन्होंने अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि शहडोल मामले में जांच करें कि कहीं इसमें किसी स्वास्थ्य अधिकारी की लापरवाही तो नहीं। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिए थे कि इस घटना को गंभीरता से लेते हुए आवश्यक हो तो जबलपुर से चिकित्सा विशेषज्ञ भेजकर रोगी बच्चों का उपचार किया जाए।
बता दें कि शनिवार को जिले के कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय के पीआईसीयू और एसएनसीयू में 4 नवजात बच्चों की मौत हो गई थी। बच्चों की उम्र 3 दिन से लेकर 4 महीने तक की बताई जा रही थी। मृतक बच्चों में एक सिंहपुर के 3 महीने का राज कोल, दो महीने का प्रियांश, उमरिया जिले के 3 दिन की निशा और 4 महीने के पुष्पराज बताए जा रहे है। वही रविवार को एक और फिर आज सोमवार सुबह एक और बच्चे भी दम तोड़ दिया। 6 बच्चों की मौत के बाद परिजनों ने जिला अस्पताल में हंगामा करना शुरु कर दिया। मामले को बढ़ता देख रविवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जांच (Investigation) के आदेश दे दिए थे।