Kuno National Park: साउथ अफ्रीका की टीम ने कूनो नेशनल पार्क का किया भ्रमण, चीतों की गर्मी से बचाव को लेकर व्यवस्था की सराहना की

साउथ अफ्रीकी टीम ने कूनो नेशनल पार्क के अलावा गांधी सागर अभ्यारण्य की व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया है।

Shashank Baranwal
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Kuno National Park

Kuno National Park: मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में साउथ अफ्रीका की एक टीम भ्रमण करने आई। इस दौरान टीम ने चीतों को गर्मी से बचाने के लिए अपनाए जाने वाली व्यवस्थाओं को लेकर सराहना की है। दरअसल, टीम ने छोटे तालाब, कृत्रिम घास के शेड जैसी चीतों को गर्मी से बचाने के लिए अपनाई जाने वाली तमाम सुविधाओं को देखा, जिसको लेकर वो संतुष्ट भी हुए।

वन अधिकारी ने कही यह बात

साउथ अफ्रीका की टीम ने कूनो नेशनल पार्क के प्रबंधन की व्यवस्थाओं को लेकर प्रजेंटेशन देखा। वहीं अतिरिक्त मुख्य वन संरक्षक एवं चीता परियोजना संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने जानकारी दी है कि चीतों को गर्मी से बचाने के लिए खास एहतिहात बरती जा रही है। इसके अलावा चीतों के गले में संक्रमण से होने वाले मौत को लेकर भी सावधानियां बरती जा रही है। वहीं उन्होंने बताया कि जल्दी ही चीतों को खुले जंगलों में छोड़ने के विचार को लेकर वन अधिकारियों को तैयारी बनाकर रखने के निर्देश दिए जा चुके हैं।

ये अधिकारी रहे मौजूद

आपको बता दें साउथ अफ्रीकी टीम ने कूनो नेशनल पार्क के अलावा गांधी सागर अभ्यारण्य की व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया है। इस दौरान टीम में चीफ डायरेक्टर स्कूमसा नटशांगा, डॉ. सेम फेरेरा, दजूनिसानी मखूबेले समेत कई अधिकारी मौजूद रहे। गौरतलब है कि कूनों नेशनल पार्क में साउथ अफ्रीका और नामीबिया से 20 चीते लाए गए थे, जिनमें से 13 चीते अभी जीवित हैं, जबकि इन चीतों के साथ ही 14 शावक भी हैं।


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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