Shivpuri – कन्या भोज में गटके बेइज्जती के घूट, घर आकर खुद पर डाला केरोसिन, मौत

Gaurav Sharma
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शिवपुरी,डेस्क रिपोर्ट। शिवपुरी (Shivpuri) जिले से एक दिलदहलाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक 16 साल की युवती  चांदनी ने ग्रामीणों (villager) द्वारा की गई बेइज्जती(insult) के चलते केरोसीन डालकर खुद को आग(burnt her self) के हवाले कर दिया।

दरअसल, पूरा मामला शिवपुरी(Shivpuri) के मुहारीखुर्द गांव का है, जहां बुधवार को कन्या भोज (kanya bhoj) का आयोजन किया गया था। कन्या भोजन में युवती खाना खाने के लिए गई थी, पर उसे क्या पता था कि जिस कन्या भोज में वो जा रही है, वो ही उसकी मौत (reason of demise) की वजह बन जाएगा। आयोजित कन्या भोज में युवती  चांदनी(chandini) पहुंची थी,जहां पहले तो उसकी खुब बेइज्जती की गई और उसके बाद उसे हत्यारा कह कर वहां से भगा दिया गया। इस घटना के बाद युवती के दिल पर इतनी ठेस पहुंची की उसने खुद को आग के हवाले कर दिया। युवती ने घर आकर खुद पर केरोसीन डालकर आत्मदाह कर लिया।

क्यों कहा गया युवती को हत्यारा ?

दरअसल, शिवपुरी (Shivpuri) के गांव मुहारीखुर्द में युवती के पिता यानि ब्रजेश पांडेय के घर बछिया (cattle) पली हुई थी। लेकिन 4 महीने पहले बछिया (cattle) को ब्रजेश के 10 साल के बेटे ने गलत तरीके से उसे बांध दिया , जिसके चलते दम घुटने से उसकी मौत हो गई। ग्रामीणों को जब इस बारे में पता लगा तो पूरे मामले ने तूल पकड़ लिया और गांववालों ने पूरे परिवार को गौ हत्यारा करार कर दिया ।

वहीं ग्रामीणओं ने पांडेय परिवार को गौ ह्त्या का पश्चाताप करने को कहा, जिसमें उनसे प्रयागराज जाकर गांगा जी में स्नान करने को कहा, साथ ही 51 हजार जुर्माना देने को कहा, पर परिवार की आर्थिक हालत कमजोर होने के चलते पांडेय परिवार गौ हत्या का प्रायश्चित नहीं कर पाया। जिसके बाद ग्रामीण द्वारा पूरे परिवार को गौ हत्या का ताना मारा जाने लगा।

वहीं पूरे मामले को लेकर मृतक के भाई ने बताया कि जब चांदनी मंदिर में कन्या भोज में शामिल होने पहुंची तो ग्रामीणों ने उसे गौ ह्त्यारी का ताना मारा और बहुत बेइज्जत किया, जिसके बाद चांदनी ने घर आकर देर शाम खुद पर केरोसिन डाल लिया और अपनी जान ले ली। वहीं पूरे मामले को लेकर पुलिस ने जांच शुरु कर दी है और मंदिर के शास्त्री पर मामला दर्ज कर लिया है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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