“मध्यप्रदेश की रचनाशीलता का महोत्सव” में छाया श्रुति कुशवाहा का जादू, सभागार में लग गई कविताओं की झड़ियां

Manisha Kumari Pandey
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। भारत भवन में 15 से 21 जुलाई तक “मध्यप्रदेश की रचनाशीलता का महोत्सव” मनाया जा रहा है। इसमें अलग अलग दिनों में कला, संस्कृति और साहित्य विषयक आयोजन हो रही हैं। इसी कड़ी में 17 जुलाई रविवार शाम “युवा- सर्जना का ह्रदयप्रेश” अंतर्गत आयोजित कविता पाठ में मध्यप्रदेश (Madhya pradesh) के कवियों का कविता पाठ हुआ। इनमें श्रुति कुशवाहा, चित्रा सिंह, राजीव सक्सेना, भास्कर लक्षकार, सांतन्वना श्रीकांत, नेहल शाह और ऋतु पल्लवी ने शिरकत की। बारिश की इस शाम भारत भवन के अंतरंग सभागार में कविताओं की भी झड़ियां लगी।

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यहां कवियों ने विभिन्न विषयों पर आधारित अपनी कविताएं पढ़ी। सभागार में वरिष्ठ साहित्यकार विजय बहादुर सिंह सहित कई लब्ध प्रतिष्ठित हस्तियां और सुधी श्रोतागण मौजूद थे। भोपाल की ख्यात कवि श्रुति कुशवाहा द्वारा प्रस्तुत कविताओं को विशेष रूप से सराहा गया। उनकी कविताएं ‘एक दिन’ ‘हैरत’ ‘आलू’ ‘झुमका गिरा रे’ और ‘चाँद के पैर’ की अनूठी कल्पनाशीलता को श्रोताओं ने खूब सराहा।


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