रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया आदिवासी विकास विभाग का सहायक आयुक्त, इस काम के एवज में मांगे थे 20 हजार रुपए, लोकायुक्त टीम ने ऐसे बिछाया जाल

लोकायुक्त पुलिस ने आरोपी सहायक आयुक्त के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई। विवेचना में सारे तथ्यों की जांच की जाएगी।

Amit Sengar
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Lokayukta Action : घूसखोरों के खिलाफ लगातार जारी एक्शन के बाद भी रिश्वतखोरी बंद नहीं हो रही, सरकारी मुलाजिमों को ना पुलिस का भय है और ना ही अपनी नौकरी पर संकट का, ताजा मामला मध्यप्रदेश के सीधी जिले का है जहाँ रीवा लोकायुक्त पुलिस की टीम ने आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त को 5 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा है।

पीड़ित ने रीवा लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक ऑफिस में दिया आवेदन

रीवा लोकायुक्त पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, फरियादी चपरासी सुखलाल कोल सुखवारी के छात्रावास में पदस्थ है। जिसने एक शिकायती आवेदन पुलिस अधीक्षक कार्यालय में दिया था। जिसमें शिकायत की गई थी कि ट्रांसफर रुकवाने के नाम पर वरिष्ठ अधिकारी रिश्वत की मांग की गई थी।

सहायक आयुक्त ने मांगी 20 हजार रुपये की रिश्वत

आवेदक सुखलाल कोल ने आवेदन में बताया कि वह जिले के सुखवारी के छात्रावास में पदस्थ था जिसका ट्रांसफर अमरबाह कर दिया गया था। रिटायरमेंट का वक्त नजदीक होने और अमरबाह काफी दूर होने के कारण चपरासी सुखलाल कोल ने ट्रांसफर रद्द करने की मांग आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त डीके द्विवेदी से की थी। इसके एवज में 20 हजार रुपए रिश्वत के तौर पर मांगे गए थे। फरियादी ने इसकी शिकायत लोकायुक्त में की। जबकि सहायक आयुक्त 15 हजार रूपए पहले ही ले लिए थे।

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रिश्वत (Bribe) लेते सहायक आयुक्त रंगे हाथ गिरफ्तार

शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त ने इसकी जांच की और सत्यता प्रमाणित होने पर एक ट्रैप दल बनाया, आज निर्धारित समय पर आवेदक ने सहायक आयुक्त को जैसे 5 हजार रुपये दिए। वैसे ही लोकायुक्त की टीम ने कलेक्ट्रेट की दूसरी मंजिल पर स्थित आदिवासी विकास विभाग के दफ्तर में बैठकर रिश्वत ले रहे सहायक आयुक्त डीके द्विवेदी को रंगे हाथों पकड़ा लिया। इस पूरे मामले में आरोपी के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई। विवेचना में सारे तथ्यों की जांच की जाएगी।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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