सिंगरौली, राघवेंद्र सिंह गहरवार। एनटीपीसी विंध्यनगर मे श्रमिकों के मौतों का सिलसिला जारी है। एनटीपीसी प्रबंधन श्रमिकों को सुरक्षित रखने में लगभग नाकाम साबित हो रहा है। विगत कुछ महिनों से एक के बाद एक श्रमिकों की जान जा रही है और प्रबंधन सिर्फ खानापूर्ति कर कार्यवाही करने की बात करता आ रहा है। लेकिन मजदूरों की मौत सुरक्षा की हकीकत बयां कर रही हैं कि एनटीपीसी प्रबंधन अपने श्रमिकों के प्रति कितना जवाबदेह है।
एनटीपीसी मे सुरक्षा सिर्फ दिखावा है या यूं कहें कि सुरक्षा सिर्फ कागजों और दीवारों पर लगा देने से पूरी कर ली जाती है। एनटीपीसी की सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद रही होती तो आज अजीत दूबे, सत्येंद्र उपाध्याय या फिर जगजीवन लाल कुशवाहा की मौत नहीं हुई होती।बता दें कि एनटीपीसी विंध्यनगर मे श्रमिक जगजीवन लाल कुशवाहा साकिन पड़खूड़ी पोस्ट रजमिलान थाना माड़ा का रहने वाला था, जो एनटीपीसी विंध्यनगर में सुनील सिंह कंस्ट्रक्शन मे सफाई का कार्य करता था। 24 जनवरी को सुबह 8 बजे वो अपने ड्यूटी पर गया था जहां उसे एनटीपीसी के साईट इंचार्ज के.एल.श्रीवास्तव व बी.सी.महंता ने कुछ कार्य करने के लिए बोला। लेकिन इसके बाद वो लापता हो गया, जिसकी सूचना उस के परिजनों को कंपनी की तरफ से फोन पर दी गई। इसके बाद परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने अपनी तरफ से तलाश शुरू कर दी लेकिन दूसरे दिन तक कोई सुराग हाथ नहीं लगा। जब तीसरे दिन परिजनों द्वारा एनटीपीसी विंध्यनगर का लेबर गेट बंद कर लोगों का आवागमन बंद करवा दिया गया तब जाकर सांय 5 बजे के करीब जगजीवन लाल कुशवाहा की लाश एनटीपीसी के स्टेज 2 मे केबल गैलरी में 20 फीट ऊपर केबल ट्रे के ऊपर फंसी हुई मिली। शव को निकालने के लिए पुलिस बल व सीआईएसएफ जवान को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
इस घटना के बाद सवाल अभी भी वही है कि क्या एनटीपीसी प्रबंधन की तानाशाही रवैये से मजदूरों की जान जाती रहेगी या प्रशासन कोई कठोर निर्णय लेगा। जिला प्रशासन के साथ साथ पुलिस महकमा और न्याय पालिका को शरण देकर एनटीपीसी अपने को किसी तानाशाह से कम नहीं समझता। लेकिन इसी रवैए के चलते श्रमिकों की जानें जा रही है। ऐसी घटनाओं के बाद परिजनों को एक लाख देकर मामले को रफादफा कर दिया जाता है। इससे पहले भी एनटीपीसी मे हृदय विदारक घटना अजीत दूबे व सत्येंद्र उपाध्याय के साथ हुई थी जिसमें एनटीपीसी प्रबंधन ने 1लाख रुपए देकर सहानुभूति बटोरी थी और इसके बाद सभी श्रमिकों को एक हलफनामा देने के लिए बोला गया है कि अगर किसी तरह की अप्रिय घटना घटित होती है तो उसके जिम्मेदार स्वयं श्रमिक होगा।