आरक्षण के विरोध में जीवन की आहुति देने वाले राजीव गोस्वामी की याद में मनाया संघर्ष दिवस

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। आरक्षण के विरोध में खुद के प्राणों की आहुति देने वाले युवा राजीव गोस्वामी (Rajiv Goswami)  की शहादत को को आज देश का युवा याद कर रहा है।  केंद्र की कांग्रेस समर्थित वीपी सिंह सरकार के समय लागू हुए सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के विरोध में आज ही के दिन खुद को आग लगाकर प्राणों की आहुति देने वाले देश के पहले युवा राजीव गोस्वामी की याद आज भी युवाओं के दिलों में ताजा है। ग्वालियर में भी उस समय मंडल आयोग की सिफारिशों यानि आरक्षण का विरोध हुआ था। आज ग्वालियर में युवाओं ने उस दिन को याद करते हुए संघर्ष दिवस मनाया।

ग्वालियर (Gwalior) के महाराज बाड़े पर युवाओं ने रविवार देर शाम काले झंडे लेकर आरक्षण (Reservation) के विरोध में प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन दरअसल उस युवा राजीव गोस्वामी के लिए था जिसने आरक्षण के विरोध में अपने प्राण न्योछावर कर दिए।  प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार ने 1990 में मंडल कमीशन की सिफारिशों को मानते हुए सरकारी नौकरियों में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसला किया था।

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मंडल कमीशन की सिफारिशें यानि 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को मंजूरी दिए जाने का देश के युवाओं ने बहुत विरोध किया।  पूरे देश में युवा सड़क पर उतर गया , इसी दौरान 19 सितम्बर को देशबंधु कॉलेज के छात्र राजीव गोस्वामी ने कॉलेज के बाहर खुद को आग लगा ली। इस घटना में वे 50 प्रतिशत जल गए, राजीव गोस्वामी को अस्पताल में भर्ती कराया  गया।  जहाँ लगातार इलाज के बावजूद 2004 में राजीव की मृत्यु हो गई।

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ग्वालियर में आरक्षण के विरोध में संघर्ष की अगुआई वाले और आत्मदाह का प्रयास करने अखिलेश पांडे ने रविवार को महाराज बाड़े पर संघर्ष दिवस मनाया। अखिलेश ने भी खुद को आग लगा ली थी लेकिन उन्हें किसी तरह बचा लिया गया। लेकिन उसके निशान आज भी अखिलेश की शरीर पर हैं।  अखिलेश पांडे ने अपने साथियों के साथ हाथ में काले झंड लेकर उस दिन को इतिहास का काल दिवस बताते हुए रुंधे हुए गले से राजीव गोस्वामी को श्रद्धांजलि दी। अखिलेश पांडे ने कहा कि हम हार साल आज के दिन संघर्ष दिवस मनाते हैं और जब तक देश में आरक्षण है हम जीवन के अंतिम समय तक संघर्ष करते रहेंगे।  उन्होंने बताया कि इस साल से हमने अपने घरों के बाहर काले झंडे लगाने का भी फैसला किया है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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