भारत में कई सारे अलग-अलग राज्य और इलाके मौजूद हैं, जिन्हें अपनी खासियतों की वजह से पहचाना जाता है। बुंदेलखंड एक ऐसा इलाका है जो अपनी संस्कृति और इतिहास के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। जब आप यहां जाएंगे तो आपको एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक इमारत का दीदार करने को मिलेगा। इनमें से एक महारानी कमलापति की याद में बनाया गया किला भी है।
बताया जाता है कि छतरपुर जिले में स्थित धुबेला में महाराजा छत्रसाल ने अपनी पत्नी कमलापति की याद में एक किले का निर्माण करवाया था। यह बिल्कुल ताजमहल की तरह दिखाई देता है यही कारण है कि इस बुंदेलखंड का ताजमहल कहा जाता है। जिस तरह से आगरा में यमुना नदी के किनारे ताजमहल बना है इस तरह से यह बुंदेलखंड में एक बड़े तालाब के किनारे बना हुआ है।

कमाल की है कलाकृति (Taj Mahal Of Bundelkhand)
बुंदेलखंड के इस ताजमहल के कलाकृति असली ताजमहल से कम नहीं है। जब आप इसे देखेंगे तो आपको इतिहास के झरोखों से आती हवा को महसूस करने का मौका मिलेगा। यह जगह प्रसिद्ध इसलिए है क्योंकि यहां शाम के बाद जाने पर मनाही है। वजह यह है कि आज भी यहां पर शाम के बाद पायलों की आवाज गूंजती है। बताया जाता है कि यह महाराजा छत्रसाल की पत्नी कमलापति की पायलों की आवाज है।
यहां गूंजती है पायलों की आवाज
इतिहास के पन्नों में बुंदेलखंड का जब जिक्र होता है तो महाराजा छत्रसाल का नाम जरूर सामने आता है। यहां पर महाराजा छत्रसाल ने अपनी पत्नी की याद में इस किले को बनवाया था, जिसका काफी महत्व है। इस समाधि स्थल पर आज भी रानी कमलापति की पायलों की छन-छन सुनाई देती है। यही कारण है कि यहां पर रात को जाने पर प्रतिबंध है।
राजा ने बनवाया था समाधि स्थल
धुबेला एक बहुत ही छोटी जगह है लेकिन यहां के इतिहास की वजह से सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशी पर्यटक भी यहां पर पहुंचते हैं। यह महाराज छत्रसाल का निवास स्थान था। उन्होंने औरंगजेब के सेना के खिलाफ लड़ाई भी लड़ी थी। इस जगह का इतिहास तब चर्चा में आया जब छत्रसाल ने यहां महल बनवाया और लंबे समय तक राज किया। यह महल 400 साल पहले बनवाया गया था। यह कमल की पंखुड़ियां के आकार में बना हुआ है और हर खिड़की कमल के आकार की बनी हुई है। बता दें कि छत्रसाल की पांच शादियां हुई थी जिनमें कमलापति उनकी प्रमुख पत्नी थी।
अदभुत है कलाकृति
इस महल की कलाकृति बहुत ही अद्भुत है किसी देखकर हर कोई हैरान हो जाता है। इसकी कलाकृति को देखने के लिए दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं। यह तालाब की दूसरी तरफ पहाड़ों की गोद में बना हुआ कारीगरी का बहुत ही अद्भुत नमूना है। इसमें 7 गुंबद, 48 पंखुड़ियां वाले कमल के फूल और 180 चित्र कलाएं बनी हुई है।