गुमशुदगी का मामला अपहरण में तब्दील, नाबालिग ने ही किया था नाबालिग का अपहरण

Atul Saxena
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इंदौर, आकाश धोलपुरे।  12 जुलाई 2021 का दिन इंदौर के अलग – अलग थाना क्षेत्रों में रहने वाले दो परिवार कभी नही भूल पायेगें। दरअसल, 12 जुलाई को एक 13 वर्षीय 9 वीं की  नाबालिग छात्रा को 12 वीं में पढ़ने वाले 17 वर्षीय नाबालिग छात्र अपने साथ ले गया था । इसके बाद लड़के की गुमशुदगी का मामला तुकोगंज थाना और मासूम बेटी की गुमशुदगी का मामला एमआईजी पुलिस के पास आया था। लेकिन जब पुलिस ने तफ्तीश की तो मामला अपहरण का निकला।  उसके बाद पुलिस ने गुमशुदगी के मामले को अपहरण की धाराओं में तब्दील कर दिया है।

दरअसल, सत्यसांई स्कूल में पढ़ने वाली 13 साल की मासूम ने जब परिजनों को अपने गुम होने की कहानी बताई तो सबके होंश उड़ गए क्योंकि गुम हुई बेटी ने परिजनों को बताया कि उसका अपहरण किया गया था ना कि वो अपनी मर्जी से नाबालिग छात्र के साथ गई थी। इधर, एमआईजी पुलिस ने नाबालिग छात्र पर अपहरण की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस द्वारा मामला दर्ज होने के बाद गुमशुदगी का मामला अब अपहरण जैसे संगीन अपराध में तब्दील हो गया है। ऐसे में अब सवाल ये उठ रहे है कि आखिर इस पूरी साजिश के पीछे कहानी क्या है ?

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बता दे कि पुलिस में मामला दर्ज होने के बाद अपृहत छात्रा के माता – पिता ने मीडिया को जो बातें बताई वो चौंकाने वाली है। जहां मासूम बेटी के माँ ने प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और इंदौर पुलिस का आभार माना और बेटी के मिलने पर खुशी जताते हुए अपनी कालोनी के रहवासियों का भी मुश्किल घड़ी में साथ देने के शुक्रिया अदा किया।

इधर, मासूम बेटी के पिता ने बताया कि उनकी बेटी को उस लड़के ने उसी के स्कूल का स्टूडेंट्स बताकर दोस्ती बढ़ाई और घटना वाले दिन वो घर के पिछले दरवाजे से 5 मिनट का काम बोलकर ले गया। इसके बाद आरोपी छात्र ने उनकी बेटी को रिक्शा में बिठाकर खुद का व उनकी बेटी का मोबाइल बन्द कर दिया। मासूम बेटी ने परिवार को बताया कि देवास में पैसे न होने के चलते छात्र ने सिम निकालकर उसका मोबाइल बेच दिया। मासूम के पिता के अनुसार इसके बाद छात्र उनकी बेटी को उज्जैन ले गया जहां से वो जयपुर पहुंचे और वहां छात्र ने अपना लेपटॉप बेचा इसके बाद दिल्ली पहुंचकर उनकी बेटी को छात्र ने धमकाते हुए कहा कि अपने परिजनों को फोन लगाकर बोलो की मैं अपनी मर्जी से उसके साथ आई हूं।

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इधर, इस बीच पुलिस की इन्वेस्टिगेशन जारी थी और पुलिस लोकेशन ट्रेस कर बेटी के परिजनों के साथ दोनों का पीछा कर रही थी। आख़िरकार जब वो चंडीगढ़ के करीब थे तब पुलिस उनके पास पहुंची और पकड़कर बेटी को उनके परिजनो को सौंप दिया। बेटी के पिता की माने तो छात्र का चरित्र ठीक नही है और सम्भवतः उसके माता पिता या कोई अन्य इस योजना में शामिल होगा। हालांकि अब मासूम के परिजन इस बात का शुक्र मना रहे है कि उनकी बेटी सही सलामत उनके पास पहुंच गई है। एमआईजी थाना प्रभारी विनोद दीक्षित ने बताया कि आरोपी नाबालिग छात्र पर अपहरण का प्रकरण दर्ज कर लिया गया है और उस पर कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाएगी।

फिलहाल, गुमशुदगी के मामले के अपहरण में तब्दील होने पर हर कोई हैरान है क्योंकि कोई सोच भी नही सकता ऐसा काम एक 17 साल के लड़के ने कर दिया अब इस मामले में कानून अपना काम करेगा लेकिन इस मामले के सामने आने के बाद सभी को होशियार हो जाना चाहिये क्योंकि डिजिटल युग मे कौन आपके अपनो को बहला फुसलाकर कर ले जाये इस बात का भरोसा नही है।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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