भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। प्रदेश में बड़े-बड़े रेस्टोरेंट्स और खाद्य पदार्थ बनाने वाली फैक्ट्रियों में खाद्य सामग्री बनाने के बाद हमेशा तेल बच जाता है। ऐसे में फैक्ट्रियों के सामने बड़ी समस्या आ खड़ी होती है, कि उस बचे हुए तेल का क्या किया जाए, तो अब जल्द ही खाद्य फैक्टरियों और होटलों की ये परेशानी खत्म होने वाली है। क्योंकि खाने से बचे हुए तेल का उपयोग अब बायो डीजल (Bio diesel) बनाने में किया जाएगा।
इस काम को करने के लिए इंदौर में पब्लिक सेक्टर की पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (Indian Oil Corporation) आगे आई है। खाने के बचे हुए तेल से बायो डीजल बनाने के लिए इंडियन ऑयल एक निजी कंपनी से टाइयप करने जा रही है। बायो डीजल बनाने के लिए फरसपुर गांव में बायोडीजल संयंत्र और पास में ही तेल संग्रहण केंद्र बनाया जाएगा। इस तेल संग्रहण केंद्र में इंदौर के 200 किलोमीटर के दायरे में आने वाले जिलों के नमकीन उद्योग रेस्टोरेंट और होटल का बचा हुआ खाद्य तेल इकट्ठा कर लाया जाएगा। इन जिलों में खासकर इंदौर, उज्जैन, देवास, धार, भोपाल, शाहजहांपुर, मंदसौर, रतलाम, नीमच शामिल है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर ये पहल की है। बता दें कि देश में गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु सहित 14 जगहों पर इस तरह के बायो डीजल संयंत्र है, बल्कि मध्यप्रदेश में यह अपनी तरह का पहला संयंत्र होगा।
जला तेल सेहत के लिए होता है घातक
खाने के तेल को 3 बार से ज्यादा गर्म करने पर वो हमारे शरीर के लिए हानिकारक हो जाता है। ज्यादा समय तक बचे हुए तेल को बार-बार गर्म करके उसमें खाना पका कर खाने से कैंसर और दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो जाती हैं और यही कारण होता है कि आज के समय में बाहर का खाना खाने से लोग जल्दी बीमार हो जाते हैं। क्योंकि बड़े-बड़े रेस्टोरेंट्स और खाद्य कंपनियां बचे हुए तेल को दोबारा प्रयोग में लाकर खाद्य सामग्री बनाती हैं।