बंदी को सुविधा देने दो प्रहरी मांग रहे थे रिश्वत, लोकायुक्त ने किया रंगे हाथ गिरफ्तार

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना।  ग्वालियर की लोकायुक्त पुलिस (Gwalior Lokayukta Police) ने श्योपुर जिला जेल  (Sheopur District Jail) के दो जेल प्रहरियों को रिश्वत (bribe) लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। दोनों प्रहरी जेल में बंद बंदी से मिलवाने और बंदी को जेल में सुविधाएँ दिलवाने के लिए 15 हजार रुपये की रिश्वत मांग रहे थे।

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लोकायुक्त एसपी संजीव सिन्हा (SP Lokayukta Sanjiv Sinha)  ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ को बताया कि फरियादी सूरज शर्मा ने उनके पास आकर शिकायत की थी कि उसके पिता और अन्य परिजनों को भिंड जेल से श्योपुर जिला जेल ट्रांसफर किया गया है।  श्योपुर जिला जेल के दो प्रहरी बंटी मीणा और बालमुकुंद शर्मा उसके पिता और परिजनों से मिलवाने के लिए रिश्वत की मांग कर रहे हैं।  जेल प्रहरियों का कहना था कि हमें रिश्वत दोगे तो बंदियों को जेल में अच्छी सुविधाएँ उपलब्ध करा देंगे।

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शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त एसपी ने फरियादी को रिकॉर्डर देकर भेजा और जब रिश्वत लेने की बात रिकॉर्ड हो गई तो आज गुरुवार को ग्वालियर लोकायुक्त के डीएसपी धर्मवीर सिंह भदौरिया, डीएसपी प्रद्युम्न पाराशर, इंस्पेक्टर राघवेंद्र सिंह तोमर सहित अन्य स्टाफ ने सूरज को 15 हजार रुपये देकर बंटी और बालमुकुंद के पास भेजा।  जैसे ही सूरज ने श्योपुर जेल परिसर में स्टाफ क्वार्टर में प्रहरियों को राशि दी पहले से तैयार लोकायुक्त की टीम ने उन्हें पकड़ लिया।  तलाशी लेने पर जेल प्रहरी बंटी की जेब से 10 हजार और बालमुकुंद की जेब से 5 हजार रुपये मिले। लोकायुक्त पुलिस ने जब प्रहरियों के हाथ धुलवाए तो उसमें गुलाबी रंग लगा हुआ था।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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