दो पति को ठग चुकी थी, तीसरे को भी प्रताड़ना की धमकी देकर ठग रही थी, मामला पहुंचा पुलिस थाने

Gaurav Sharma
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। लुटेरी दुल्हन के किस्से कई बार सुनने को मिलते हैं लेकिन ग्वालियर में ठगी करने वाली पत्नी का किस्सा सामने आया है। तीसरे पति से शादी के छह महीने बाद ही महिला ने पति पर प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया। पुलिस ने जब पति को थाने बुलाया तब खुलासा हुआ कि महिला दो पतियों को तलाक दे चुकी है और उनसे पैसा ऐंठ चुकी है। फिलहाल पुलिस पति पत्नी की काउंसलिंग कर रही है।

जानकारी के मुताबिक जनकगंज थाना क्षेत्र में रहने वाली एक महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसका पति उसे मारता है और प्रताड़ित करता है। शिकायत के बाद पुलिस ने जब महिला के पति को थाने बुलाया तो उसने बताया कि महिला शादी के बदले 5 लाख रुपये लिए है और केवल छह महीने ही साथ रही उसके बाद अपने चचेरे भाई के घर रहने चली गई पति ने जब उसे वापस आने के लिये कहा तो उसने इंकार कर दिया और धमकी देकर पुलिस में शिकायत कर दी।

महिला के पति ने पुलिस के सामने एक और खुलासा किया कि महिला पहले भी दो शादी कर चुकी है और उनसे भी पैसे ठग चुकी है। प्रमाण के तौर पर पति महिला के दूसरे पति को लेकर थाने पहुंचा था उस व्यक्ति ने बताया कि शादी के बाद महिला उससे भी 2 लाख रुपये खर्च करा चुकी है और फिर तलाक लेकर नई शादी कर ली उसने बताया कि पहले पति को भी तलाक दे चुकी है। फिलहाल पुलिस ने पति पत्नी को थाने बुलाकर उनकी काउंसलिंग शुरू की है। पुलिस का कहना है कि मामला परिवार से जुड़ा है इसलिए प्रयास किये जा रहे हैं कि आपसी रजामंदी से सुलझ जाए।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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