Mahakal Ujjain News: विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल का रूटीन भी मौसम के हिसाब से बदलता है। ठंड के मौसम में जहां उन्हें गर्म जल से स्नान कराया जाता है तो गर्मियों में शीतल जल की गलंतिका बांधी जाती है जिससे उन्हें गर्मी से राहत मिलती रहे।
गर्मियों का मौसम शुरू हो चुका है और ऐसे में महाकाल को गर्मी से राहत देने के लिए आज सुबह हुई भस्म आरती में 11 मटकियां लगाई गई हैं जिनमें से सतत जल धारा प्रवाह होगी और बाबा को गर्मी का एहसास नहीं होगा।
Mahakal Ujjain में बांधी गई गलंतिका
7 अप्रैल को वैशाख कृष्ण प्रतिपदा के अवसर पर मंदिर के पंडित और पुजारियों ने एक साथ मिलकर 11 गलंतिका बाबा महाकाल के शिवलिंग के ऊपर बांधी। खास बात यह है कि इन वाक्यों में 11 नदियों का जल समाहित किया जाता है।
बहुत पुरानी है मान्यता
मंदिर के पुजारियों के मुताबिक बाबा महाकालेश्वर पर सतत जलधारा गर्मियों में प्रवाहित किए जाने की यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है। भस्मारती के समय से लेकर संध्या आरती के पूर्व तक मटकियों से जलधारा बाबा के ऊपर गिरती रहती है।
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भोलेनाथ कैलाश के निवासी हैं, गर्मियों के मौसम में उन्हें ठंडक प्रदान करने के लिए भक्त तरह-तरह के जतन करते हैं। महाकालेश्वर मंदिर में चांदी का कलश पहले से मौजूद है, लेकिन अब लगातार 2 महीने तक गलांतिकाओं के जरिए बाबा को ठंडक प्रदान करने का क्रम चलता रहेगा।
मटकियों पर नदियों का नाम
भोलेनाथ के लेकर बांधी जाने वाली इन मटकियों की खासियत ये है कि इनमें 11 नदियों का जल तो रहता है बल्कि इन पर महानदी, सरयू, गोदावरी, रावी, कावेरी, नर्मदा, व्यास, अलखनंदा, गंडक, सिंधु, रामगंगा, ताप्ती, कोसी जैसी नदियों के नाम भी अंकित किए जाते हैं। मान्यता के मुताबिक ऐसा करने से भगवान महाकाल तृप्त होते हैं और प्रजा को सुख समृद्धि और कल्याण का आशीर्वाद देते हैं।