Mahakal Lok, Lokayukt Action : महाकाल लोक में खंडित हुई सप्त ऋषियों की मूर्तियों के मामले में अब लोकायुक्त की जांच शुरू कर दी गई है। 3 दिन पहले तेज आंधी से सप्तऋषि की 6 मूर्तियां खंडित हो गई थी। 1 साल के भीतर हुई इस घटना पर अब राजनीतिक बवाल भी शुरू हो गया है। पिछले 5 साल में शायद यह पहला मामला है, जब लोकायुक्त ने स्वत संज्ञान लेते हुए किसी केस की जांच शुरू की है। लोकायुक्त द्वारा जांच के दायरे में पांच महत्वपूर्ण सवाल भी पूछे गए हैं।
इससे पहले उज्जैन के महाकाल लोक में खंडित हुई सप्तर्षियों की मूर्तियों पर कांग्रेस ने बड़े भ्रष्टाचार की बात कही थी। वहीं प्रदेश सरकार के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भ्रष्टाचार की बात को सिरे से नकार दिया है। मंत्री सिंह का कहना है कि तेज आंधी और बवंडर की वजह से मूर्तियां खंडित हुई है। इसमें किसी भी तरह के भ्रष्टाचार शामिल नहीं है।
लोकायुक्त द्वारा पूछे गए 5 सवाल
लोकायुक्त ने बढ़ते विवाद को देखते हुए संज्ञान लेते हुए मामले की जांच शुरू की है। लोकायुक्त द्वारा 5 सवाल पूछे गए हैं।
- जिनमें पहला सवाल था कि क्या महाकाल लोक के निर्माताओं ने पत्थर की मूर्ति स्थापित करने के लिए धन सुरक्षित रखा है?
- मूर्तियां एफआरपी की होंगी। यह निर्णय किस स्तर पर लिया गया था?
- क्या मूर्तियां संबंधित सप्लायर ने प्रस्तावित मानक के अनुसार तय की थी? इसे मानक के अनुसार निर्मित किया गया था?
- जहां मूर्तियां स्थापित की गई थी, क्या उसका आधार कमजोर था?
- क्या मूर्तियों की स्थापना में किसी लोक सेवक का भ्रष्टाचार परिलक्षित हो रहा है?
इन सवालों के बाद जांच दर्ज कर आगे की कार्रवाई के लिए तकनीकी शाखा को नोटशीट भेजी गई है। नोटशीट में स्पष्ट कहा गया है कि संगठन में महाकाल लोग के निर्माण में कुछ घटक की जांच पहले से की जा रही है। वहीं मूर्तियों की जांच इसमें शामिल नहीं थी लेकिन अब इस मामले में अलग से जांच शुरू की गई है। 3 दिन पूर्व उज्जैन में भारी आंधी से महाकाल लोक में खंडित हुई सप्तर्षियों की मूर्तियों पर देशभर में भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। इस मामले को राजनीतिक तूल देते हुए कांग्रेस ने महाकाल लोक निर्माण मामले में भ्रष्टाचार की बात कही है।
कांग्रेस विधायक का आरोप
वहीं उज्जैन के तराना से कांग्रेस विधायक महेश परमार ने लोकायुक्त को शिकायत भेजी थी। शिकायत में कहा गया था कि एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अंशुल गुप्ता ने पद का दुरुपयोग करते हुए ठेकेदार को नियम विरुद्ध लोहे को जीआई सीट को पॉलीकार्बोनेट शीट से बदलकर एक करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाया गया था। इस मामले में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर से राशि वसूल किए जाने की आग्रह भी किए गए थे। इसके अलावा शिकायत में एक करोड़ से अधिक के आइटम बदले जाने की भी बात कही गई थी।
भूपेंद्र सिंह का बयान
बता दे कि जहां सप्त ऋषि की 6 मूर्तियां गिरी है। वहां आसपास 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही थी जबकि 100 से अधिक मूर्तियां सुरक्षित है। इस मामले में भूपेंद्र सिंह का कहना है कि महाकाल का वर्क आर्डर कांग्रेस की सरकार के दौरान जारी हुआ था। डीपीआर में भी इसी एफआरपी मूर्तियों का प्रावधान है। दूसरे राज्यों में भी इसी की बनी हुई प्रतिमाएं रखी गई है।
इतना ही नहीं कमलनाथ सरकार में ही इस प्रोजेक्ट को तकनीकी मंजूरी मिली थी। दो बार इसका भुगतान किया गया था। तब तकनीकी विशेषज्ञ ने कहा था कि FRP की मूर्तियां स्थापित होनी चाहिए। इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं है। इसके अलावा महाकाल लोक का तकनीकी परीक्षण के लिए टेक्निकल टीम ने भी इसका मूल्यांकन किया था। फाइबर रिइनफोर्स प्लास्टिक की 100 मूर्तियां पूरे परिसर में लगी है। जिसकी लागत 7 करोड़ रुपए हैं।
कमलनाथ ने किया गड़बड़ी की जांच के लिए 7 सदस्यीय टीम का गठन
वहीं कांग्रेस की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि सरकार बनने पर वह महाकाल लोक की गड़बड़ी की जांच कराएंगे। कमलनाथ ने महाकाल लोक में गड़बड़ी की जांच के लिए 7 सदस्यीय टीम का गठन किया है। टीम द्वारा जांच किए जाने के बाद ही भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है।
अब लगातार उठ रहे सवाल पर लोकायुक्त जांच शुरू कर दी गई है। इन 5 सवालों के जवाब मिलने के साथ ही आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी। वहीं जांच दर्ज कर तकनीकी शाखा को भेजा गया है जबकि कांग्रेस लगातार महाकाल लोक में भ्रष्टाचार के सवाल खड़े कर रही है। इसी बीच सरकार का कहना है कि इस मामले में किसी भी तरह की भ्रष्टाचार की संलिप्तता नहीं है।