उज्जैन, डेस्क रिपोर्ट। दीपावली के बाद देशभर में अलग अलग परंपरा निभाई जाती है। धार्मिक नगरी उज्जैन (Ujjain) में भी इस तरह के नज़ारे देखने को मिलते हैं। यहां गोवेर्धन पूजा के बाद मन्नतधारियों के ऊपर से गायें तो गुजरती ही हैं, लेकिन पाड़ों की लड़ाई का आयोजन भी यहां किया जाता है। ये लड़ाई शहर के बाहरी इलाके में करवाई जाती है जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं।
पिछले दो सालों से कोरोना के चलते पाड़ों की ये लड़ाई नहीं रखी गई थी लेकिन इस वर्ष एक बार फिर धूमधाम से इसका आयोजन किया गया। भूखी माता क्षेत्र स्थित खेतों में 8 जोड़ी पाडों को आपस में लड़वाया गया। घंटों तक ये लड़ाई देखने को मिली।
Must Read- उज्जैन: पड़ोसी ने छात्रा से की हैवानियत, वीडियो वायरल करने की दी धमकी
पाड़ों की लड़ाई करवाने वाले लोगों का कहना है कि समाज में जोर आजमाइश के लिए ये दंगल करवाया जाता है। इस बहाने समाजजन इकठ्ठा भी हो जाते हैं। ये परंपरा कई सालों से चली आ रही है। ये कितनी पुरानी है इस बारे में किसी को भी जानकारी नहीं है। इस दिन पाड़ों को विशेष तौर पर सजाकर मैदान में उतारा जाता है। इस दंगल को देखने के लिए लोगों में खास उत्साह रहता है।
दशकों से चली आ रही इस परंपरा में जिन पाड़ों को लड़वाया जाता है उन्हें खास तौर पर तैयार किया जाता है। इनके खान पान का विशेष ध्यान रखा जाता है। इन्हे चारा भूसा के साथ शुद्ध घी, अंडे, सरसों का तेल और अलसी भी दिया जाता है। इस हिसाब से एक पाड़े पर एक दिन में हजार रुपये का खर्चा किया जाता है। इसी के साथ मौसम के हिसाब से इन्हे सभी सुविधा दी जाती है।