उज्जैन, डेस्क रिपोर्ट। Ujjain शहर के प्रतिष्ठित हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र भटनागर के बैंक खाते की KYC अपडेट करवाने के नाम पर पश्चिम बंगाल (west bengal) के शातिर युवक ने 7 लाख 45 हजार की सनसनी खेज धोखाधड़ी को अंजाम दिया। साइबर (cyber) की टीम को जैसे ही पता चला की पश्चिम बंगाल के हुगली में उक्त पैसा ट्रांसफर हुआ। जिसके बाद 5 दिन तक लगातार साइबर की टीम ने धनबाद, बोकारो, जामताड़ा, आसनसोल, वर्धमान जैसे शहरो की ख़ाक छानने के बाद 12 वि पास आरोपी 26 वर्षीय शुभोजित को गिरफ्तार किया है। शुभोजित अपने दोस्तों के साथ साइबर क्राइम (cyber fraud)चलाने का काम करता है। जिनके तार जामताड़ा से जुड़े है।
राज्य साइबर कार्यालय में आज आरोपी को पश्चिम बंगाल से लाया गया। दरअसल घटना जुलाई माह की है जंहा आरटीओ कार्यालय के सामने रहने वाले प्रतिष्ठित डाक्टर जितेंद्र भटनागर ने 12 जुलाई को FIR दर्ज कराई थी और साइबर क्राइम की सुचना देते हुए अपने साथ 7 लाख 45 हजार की ठगी होना बताया था।
जिस पर से साइबर की टीम ने शुरुवाती जांच की तो पता चला की बेहद शातिराना अंदाज से एक पढ़े लिखे डाक्टर को बातो बातो में फंसा कर ठगी की वारदात को अंजाम देने की पुष्टि होने के बाद आरोपी पर मामला 105 /2021 धारा 419, 420, 66 सी आय टी एक्ट की धारा में केस दर्ज किया गया था।
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साइबर सेल की निरीक्षक रीमा यादव ने बताया की आरोपी शुभोजित पात्रा पिता बरुन पात्रा ने एसएमएस के जरिये डॉ भटनागर के मोबाइल पर एसबीआई के बैंक अकाउंट के केवाईसी अपडेट करने के लिए मेसेज भेजा। जिस पर डॉ भटनागर ने काल करके उक्त नंबर से बात की और आरोपी ने बातो बातो में जल्द ही खाता बंद होने और KYC अपडेट करने के लिए किव्क स्पोर्ट एप डाउनलोड करवा दिया और मोबाइल का एक्सेस अपने पास कर बैंक अकाउंट से पौने आठ लाख रुपए उड़ा दिए।
फिलहाल साइबर की टीम ने आरोपी शुभोजित को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन उसके पास से ठगी गयी राशि जब्त नहीं हो पायी है। फ्राड कॉल और मेसेज से पढ़े लिखे लोग ठगी का शिकार हो रहे है। 12th पास शुभोजित पात्र जैसे कई शातिर अपराधी पढ़े लिखे लोगो को साइबर क्राइम का शिकार बनाते है। इसका ताजा उदाहरण है डॉ भटनागर के साथ हुई लाखो की ठगी। हालांकि बैंक और प्रशासन सहित साइबर की टीम भी कई बार आम लोगो को इस बात की जानकरी देती है की किसी भी अनजान लिंक को शेयर ना करे और नाही किसी भी अनजान कॉलर से अपने बैंक डिटेल शेयर करे।
कई बढ़े केसो में तो पुलिस आरोपी तक भी नहीं पंहुच पाती है क्युकी ये लोग दूर दराज बैठे अपना गिरोह संचालित करते है। राम यादव ने भी बताया की आरोपी तक पहुंचने के लिए उसके बैंक खाते का सहारा लिया गया , अमूमन ऐसे केसो में अपराधी दुसरो के खाते में राशि ट्रांसफर करतेहै लेकिन इस कैसे में आरोपी ने पौने आठ लाख की राशि अपने ही खाते में ट्रांसफर की थी।
गिरोह के सदस्य जामताड़ा के
देश भर साइबर क्राइम के मशहूर झारखंड का छोटा सा गाँव आज साइबर क्राइम का गड बन चूका है देश बाहर में होने वाले साइबर क्राइम 80 प्रतिशत जामताड़ा से ही संचालित किये जाते है जिसमे गिरोह में कम पढ़े लिखे युवा वर्ग जुड़े है। डॉ भटनागर के केस में पता चला की गिरोह के सदस्य एक साथ एक ही सीरीज के मोबाईल नम्बरो पर फोन करते है जो लोग झांसे में आ जाते है। उनसे मोबाइल पर रिमोट एप डाउनलोड करवाते थे। फिर यूपीआई या बैंकिंग एप डाउनलोड करवाकर बैंक खाते खाली कर देते है। अब आरोपी द्वारा अन्य जगह की ठगी की भी जानकरी पता की जा रही है।