कोदो कुटकी के प्रति फैले भ्रम को दूर करने उमरिया में आयोजित किया गया कबीर मेला, बताए मोटे अन्न के अनगनित फायदे

कृषि विभाग के द्वारा कोदो कुटकी की फसल को लेकर किसानों में जन जागरूकता के लिए फूड फेस्टिवल मेला का आयोजन किया गया। इधर किसानों का कहना है कि जब से हाथियों की मौत के बारे में कोदो का नाम सामने आया है तब से व्यापारी हमारे अनाज को नहीं खरीद रहे हैं और हम आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं।

Amit Sengar
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Umaria News : बांधवगढ़ नेशनल पार्क उमरिया के सलखनीया गाँव में 11 हाथियों की मौत कोदो खाने से हुई थी यह डॉक्टरों की जांच रिपोर्ट बता रही है तो वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों के द्वारा बांधवगढ़ मे कबीर मेला के दौरान कोदो कुटकी के जागरूकता के लिए एक मेले का आयोजन किया गया इसमें जिले के अधिकारी एवं मानपुर की विधायक मीना सिंह भी उपस्थित थी।

बता दें कि 11 हाथियों के मौत के बाद कृषि विभाग के द्वारा कोदो और कुटकी के गिरते मार्केट वैल्यू के कारण कृषि विभाग को अब खुद ही जागरूकता लाने के लिए मेले जैसे आयोजन किए जा रहे हैं। बांधवगढ़ नेशनल पार्क मे आयोजित कबीर मेले के दौरान यहां पर दूर-दूर से कबीर पंथीयो का आगमन होता है, और यहां के देशी खाने को पसंद करते हैं, अब जब 11 हाथियों की मौत के बाद कोदो को दूसरी नजर से देखा जाने लगा था इसलिए कृषि विभाग के द्वारा लोगों में जागरूकता लाने के लिए वह उस डर को खत्म करने के लिए मेले का आयोजन किया गया। इस दौरान जिले के अधिकारी विधायकगण के साथ उमरिया जिले की जनता व आए हुए कबीरपंथी इस मेले में सम्मिलित हुए और जो लोगों के मन में कोदो के प्रति घृणा उत्पन्न हो गई थी उसे दूर करने का प्रयास किया गया है।

आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं किसान

जहां एक और कृषि विभाग के द्वारा कृषकों को जागरूक करने के लिए की कोदो कुटकी की फसल को अधिक से अधिक उपजाएं। लेकिन वहीं कृषकों का कहना है कि जब से हाथियों की मौत के बारे में कोदो का नाम सामने आया है तब से व्यापारी हमारे अनाज को नहीं खरीद रहे हैं और हम आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं अब जब हमारी फसल नहीं खरीदी जाएगी तो हम अगली फसल के लिए बीज और खाद के लिए पैसा कहां से लाएंगे यहां पर एक सवालिया निशान खड़ा हो गया है।

कृषि विभाग द्वारा आयोजन किया गया फ़ूड फेस्टिवल मेला

अब कृषि विभाग के द्वारा कोदो कुटकी की फसल को लेकर किसानों में जागरूकता लाने की बात को लेकर किसान मेले जैसे कार्यक्रम का आयोजन करने पड़ रहे हैं और वही किसान अपनी फसल को बेचने के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं अब देखना यह होगा कि आने वाले वर्ष में यहां के किसान कोदो की फसल को महत्व देते हैं या नहीं
उमरिया से ब्रजेश श्रीवास्तव की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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