बैंक… यह नाम सुनते ही दिमाग में सबसे पहले लंबी लाइन, काउंटर, टोकन नंबर और चेक की तस्वीर दिमाग में उभर जाती है, लेकिन सच्चाई यह है कि बैंक सिर्फ पैसे जमा–निकासी की जगह नहीं, बल्कि आम आदमी की पूरी आर्थिक जिंदगी की रीढ़ है। बिना बैंक के जिंदगी उतनी ही अधूरी है, जितनी बिना नमक की रसोई… जी हां! सालों से लोगों का भरोसा बैंक पर रहा है। बुढ़ापे में लोग यहां पैसा उठाने आते हैं, क्योंकि उन्हें पता है यहां से पैसा कहीं भी गबन नहीं होगा। चाहे किसान को फसल बोने के लिए लेना है या फिर युवा को अपना पहला स्टार्टअप शुरू करने के लिए लोन… पेरेंट्स को अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए कर्ज लेना हो या फिर किसी को घर के होम लोन… हर किसी का भरोसा बैंक पर ही टिकता है।
आपने अब तक सुना होगा कि बैंक में लोग रुपये-पैसे, सोना-चांदी जमा करते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के भिंड में एक ऐसा अनोखा बैंक है जहां नोट नहीं, रोटियां जमा की जाती हैं और इन रोटियों से गरीबों का पेट भरता है।
भिंड का अनोखा बैंक
बता दें कि एमपी के भिंड शहर के प्राचीन गौरी सरोवर किनारे मोटे गणेश मंदिर में शाम ढलते ही एक अलग ही नजारा दिखने लगता है। यहां रोटी बैंक नाम की ऐसी व्यवस्था है, जहां लोग अपनी थालियों से निकली रोटियां लेकर आते हैं और ये रोटियां उन लोगों तक पहुंचती हैं, जिनके पास चूल्हा तो है, पर रोज दाल-रोटी का जुगाड़ नहीं है। यह कोई आम बैंक नहीं, जहां रुपयों का हिसाब-किताब होता है। यहां रोटियां किसी अनजान के पेट की भूख मिटाती हैं।
गौरी सरोवर किनारे गणेश मंदिर पर रोज शाम को लोग रोटियों से भरे पैकेट लेकर पहुंचते हैं। इन पैकेट्स को संस्था के कार्यकर्ता इकट्ठा करते हैं और फिर वहीं मौजूद गरीबों, बुजुर्गों और साधु-संतों को भोजन कराते हैं। इस बैंक की ख़ासियत है कि यहां दान करने वाले का नाम नहीं पूछा जाता और खाने वाले से सवाल नहीं किया जाता। साफ शब्दों में कहे तो भूख ही यहां पहचान है।
2016 में हुई शुरुआत
इस रोटी बैंक की नींव 2016 में रखी गई थी। शुरुआत में स्थिति बड़ी अजीब थी खाने वाले ज्यादा थे और रोटियों की संख्या बहुत ही कम थी। तब संस्था के लोग खुद घर-घर जाकर रोटी मांगते थे। लोगों को समझाते थे कि एक रोटी कम कर दीजिए, जिससे किसी भूखे की थाली सज जाएगी। धीरे-धीरे शहर के लोग खुद आगे आए और अब हाल यह है कि रोजाना शाम 5 बजे यहां पैकेट भरकर रोटियां आती हैं और गरीब, असहाय लोगों तक पहुंचाई जाती हैं।
नहीं पूछा जाता नाम
मीडिया सूत्रों की मानें तो बब्लू सिंधी और उनकी टीम इस रोटी बैंक को चलाते हैं। उनका कहना है कि हम न किसी का नाम पूछते हैं, न धर्म। जो भूखा है, वही हमारा मेहमान है। बुजुर्ग हों या साधु-संत, सबको यहां पेटभर खाना मिलता है। असली संतोष तो हमें तब मिलता है जब किसी के चेहरे पर दो कौर खाने के बाद मुस्कान आती है। साथ ही उनकी दुआएं भी मिलती है। समाज में भूखे लोगों को खाना खिलाना बहुत बड़ा पुण्य का काम माना जाता है। इस काम में सभी मिलकर आगे आएं हैं, ये देश में एकता की मिशाल भी पेश करता है।
यदि आप भी इस बैंक का हिस्सा बनना ताहते हैं, तो शाम ढलते ही गौरी सरोवर किनारे गणेश मंदिर पहुंच जाइए। यहां इस काम में थोड़ा सा आपका अहम योगदान आपको अलग ही सुकून देगा, जिसे कोई बैंक ब्याज में भी नहीं दे सकता।





