विदिशा| मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में 50 वर्ष पुराने कुएं को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कराने के एवज में एक हजार रुपए की रिश्वत मांगना तहसीलदार के रीडर को भारी पड़ गया| विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम न्यायाधीश एमएस तोमर ने ग्यारसपुर तहसील के रीडर कृपाल सिंह तोमर को 4 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई एवं 5 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया। इस प्रकरण की पैरवी विशेष लोक अभियोजक नरेश कुमार गुप्ता ने की।
मीडिया सेल प्रभारी ज्योति कुुजूर ने बताया कि फरियादी पूरन सिंह ने अपनी जमीन पर 50 वर्ष पुराने कुए को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए तहसीलदार ग्यारसपुर कार्यालय में आवेदन दिया था। लेकिन तहसील में कई चक्कर काटने के बाद भी कुएं को राजस्व रिकार्ड में दर्ज नहीं किया जा रहा था। जब पूरन सिंह ने तहसीलदार ग्यारसपुर के रीडर कृपाल सिंह तोमर से बात की तो उसने एक हजार रूपए रिश्वत की मांग की। पूरन सिंह ने 17 फरवरी 2014 को इसकी शिकायत लोकायुक्त एसपी भोपाल से की। इस पर लोकायुक्त टीम के निरीक्षक वीके सिंह के नेतृत्व में टीम गठित की गई। तहसील कार्यालय में योजनाबद्ध तरीके से पूरनसिंह ने तोमर से बात की। रुपयों की बात आते ही पूरनसिंह ने केमीकल लगे नोट तोमर को दिए और लोकायुक्त टीम को इशारा कर दिया। टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।
न्यायालय में अपने बयानों से फरियादी पलट गया, लेकिन प्रकरण में रिकॉर्ड की हुई बातचीत, साक्ष्य, जब्त रिकार्ड और पंच साक्षियों के द्वारा दिए गए बयानों के अाधार पर विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम न्यायाधीश महेंद्रसिंह तोमर ने ग्यारसपुर तहसील के रीडर कृपाल सिंह तोमर को 4 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई एवं 5 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया।