बीजेपी विधायक की सीएम से मांग, युवाओं को होगा यह बड़ा फायदा

Gaurav Sharma
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Yashpal Singh Sisodiya

मंदसौर, डेस्क रिपोर्ट। प्रदेश के युवाओं के हितों को लेकर मंदसौर के वरिष्ठ विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समक्ष दो महत्वपूर्ण मांगे रखी। जिसमें उन्होंने सामान्य वर्ग की परीक्षाओं में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षित वर्ग के समान न्यूनतम उत्तीर्ण अंक में छूट प्रदान करने की मांग की तथा दूसरी मांग कोरोनाके कारण भर्ती परीक्षाओं में आयु सीमा में दो वर्ष की छूट दिए जाने की मांग की । दोनों ही मांगों को लेकर सीएम ने आश्वस्त करते हुए परिक्षण कराए जाने के आदेश अधिकारियों को दिए है।

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यह जानकारी देते हुए वरिष्ठ विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने बताया कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संघ द्वारा सामान्य वर्ग की परीक्षाओं में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभ्यर्थियों को आरक्षित वर्ग के समान न्यूनतम उत्तीर्ण अंक में छूट दिए जाने की मांग की है, उनकी यह मांग न्याय उचित है, क्योकि राजस्थान, उत्तराखंड एवं अन्य राज्यों में भी ईडब्ल्यूएस की आरक्षण कैटेगरी में आने वाले अभ्यर्थियों को पात्रता अंक में छूट प्रदान की गई है। मध्यप्रदेश में जो उच्च माध्यमिक शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक भर्ती 2018-19 में भी अहर्ता अंक 75 यानी 50 प्रतिशत किए जाने चाहिये। जिससे इसका लाभ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को मिल सके।

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श्री सिसोदिया ने राज्य शासन की भर्ती परीक्षा 2020 -21 में कोरोना के कारण आयु सीमा में वृद्धि किए जाने की मांग भी मुख्यमंत्री के समक्ष की । सीएम को लिखे पत्र में श्री सिसोदिया ने कहा कि वर्ष 2020 -21 में कोरोना के कारण निर्धारित कैलेंडर से राज्य शासन की भर्ती परीक्षाएं संपन्न नहीं हो सकी। नाम मात्र की जो भर्ती परीक्षाएं आयोजित हुई उसमें कोरोना के कारण वाहन की अनुपलब्धता एवं परिवार में कोरोना बीमारी के कारण कई होनहार युवक परीक्षा देने से वंचित रह गए। आंकड़े बताते हैं कि कोरोना अवधि में संपन्न परीक्षाओं में सामान्य से एक चौथाई अभ्यर्थि भी परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो पाए हैं। वर्तमान में राज्य शासन द्वारा जो परीक्षा आयोजित की जा रही है उसमें आयु में कोई वृद्धि नहीं की गई है। इसलिए 2022 -23 में होने वाली राज्य शासन की समस्त भर्ती परीक्षाओं में अभ्यर्थियों की कैटेगरी अनुसार परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए अधिकतम उम्र में 2 वर्ष की वृद्धि की जानी चाहिए।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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