MP Breaking News
Wed, Dec 17, 2025

मारपीट के आरोपी सूरज चव्हाण फिर एनसीपी में शामिल, बनाए गए प्रदेश महासचिव

Written by:Neha Sharma
Published:
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार गुट की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से एक बड़ी राजनीतिक खबर सामने आई है। छावा संगठन के प्रदेशाध्यक्ष विजयकुमार घाटगे के साथ मारपीट मामले में चर्चा में आए सूरज चव्हाण अब दोबारा एनसीपी में लौट आए हैं।
मारपीट के आरोपी सूरज चव्हाण फिर एनसीपी में शामिल, बनाए गए प्रदेश महासचिव

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार गुट की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से एक बड़ी राजनीतिक खबर सामने आई है। छावा संगठन के प्रदेशाध्यक्ष विजयकुमार घाटगे के साथ मारपीट मामले में चर्चा में आए सूरज चव्हाण अब दोबारा एनसीपी में लौट आए हैं। इस मामले में आरोप था कि सूरज चव्हाण ने अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर छावा संगठन के पदाधिकारियों के साथ अमानवीय तरीके से मारपीट की थी। घटना के बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ और वे कुछ दिनों तक फरार भी रहे। इसी कारण अजित पवार ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाते हुए साफ कहा था कि कानून हाथ में लेने वालों को कोई रियायत नहीं मिलेगी।

सूरज चव्हाण फिर एनसीपी में शामिल

लेकिन कुछ ही दिनों में स्थिति बदल गई और पार्टी ने उन्हें फिर से शामिल कर लिया। इस फैसले ने राजनीतिक हलकों में हैरानी पैदा कर दी है। कई लोगों का कहना है कि इतने गंभीर आरोप और कानूनी कार्रवाई के बावजूद इतनी जल्दी वापसी होना पार्टी की नीति पर सवाल उठाता है।

एनसीपी के आधिकारिक फेसबुक पेज पर सूरज चव्हाण की वापसी की जानकारी दी गई। पोस्ट में कहा गया कि उन्हें महाराष्ट्र प्रदेश राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का प्रदेश महासचिव नियुक्त किया गया है। फेसबुक पोस्ट में लिखा गया, “महाराष्ट्र प्रदेश राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश महासचिव पद पर मा. श्री सूरज चव्हाण की नियुक्ति की जाती है। पार्टी के विकास और पार्टी की नीतियों को आम जनता तक पहुंचाने के लिए उन्हें शुभकामनाएं।”

अभी तक इस पुनर्नियुक्ति पर अजित पवार या पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की कोई विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि सोशल मीडिया और स्थानीय राजनीति में इस मुद्दे पर बहस तेज है। विपक्ष ने इसे पार्टी की दोहरी नीति बताते हुए आलोचना की है, जबकि समर्थक इसे पार्टी का आंतरिक निर्णय बता रहे हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस कदम का पार्टी की छवि पर क्या असर पड़ता है।