महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता अमित ठाकरे ने राज्य में मराठी भाषा की अनदेखी पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने राज्य के स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. पंकज भोयर को पत्र लिखकर मांग की है कि जिन स्कूलों में अब तक मराठी नहीं पढ़ाई जा रही है, उन पर तुरंत और सख्त कार्रवाई की जाए। यह पत्र उन्होंने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर सार्वजनिक करते हुए कहा कि “मराठी भाषा सिर्फ भावना का नहीं, हक का विषय है।” ठाकरे ने आरोप लगाया कि कई नामी स्कूल सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद मराठी पढ़ाने से कतरा रही हैं, जो कि मराठी अस्मिता का अपमान है।
अमित ठाकरे ने उठाई मांग
अपने पत्र में ठाकरे ने स्पष्ट किया कि 2020 में जारी शासन अधिनियम के तहत राज्य की सभी सरकारी और निजी स्कूलों में मराठी भाषा पढ़ाना अनिवार्य है। इसके बावजूद ICSE, CBSE, IB समेत कुछ निजी बोर्ड की स्कूलें इस नियम का पालन नहीं कर रही हैं। उन्होंने इसे राज्य की सांस्कृतिक अस्मिता पर सीधा हमला बताया और कहा कि यह बेशिस्त और दुराग्रही रवैया न सिर्फ मराठी को हाशिये पर डालता है, बल्कि कानूनी उल्लंघन भी है। उन्होंने यह भी कहा कि लाखों की फीस वसूलने वाले ये संस्थान अगर राज्य की राजभाषा को ही नजरअंदाज करें, तो यह गंभीर और निंदनीय है।
अमित ठाकरे ने मांग की है कि स्कूली शिक्षा विभाग, पुणे के माध्यम से पूरे राज्य में मराठी पढ़ाने के नियम के पालन पर रिपोर्ट मांगी जाए। जिन स्कूलों ने मराठी पढ़ाना टाला है, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई या उनकी मान्यता रद्द करने जैसे कदम उठाए जाएं। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसा दोबारा न हो, इसके लिए सरकार को कठोरता दिखानी चाहिए।
अपने पत्र के अंत में ठाकरे ने कहा, “मराठी सिर्फ एक भाषा नहीं, हमारी पहचान है। यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है कि राज्य में पढ़ने वाला हर छात्र मराठी भाषा में निपुण हो। हमें उम्मीद है कि शिक्षा विभाग इस मामले में जल्द से जल्द सकारात्मक कार्रवाई करेगा।” अब देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर कितना गंभीर रुख अपनाती है और क्या सच में नियम तोड़ने वालों पर कोई ठोस कदम उठाया जाता है।





