जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद देशभर में साइबर हमलों की रफ्तार अचानक तेज हो गई है। इसमें सबसे ज्यादा खतरा महाराष्ट्र की सरकारी वेबसाइट्स पर मंडरा रहा है, जहां रोजाना लाखों की संख्या में हैकिंग प्रयास किए जा रहे हैं। ये घटनाएं राज्य की डिजिटल सुरक्षा और प्रशासनिक तंत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं। सूत्रों के मुताबिक हैकर्स लगातार सरकारी सर्वर और डाटा बेस को निशाना बना रहे हैं।
महाराष्ट्र पर साइबर खतरा
महाराष्ट्र आईटी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस साल 5 मई से 15 मई के बीच कई बड़े साइबर अटैक दर्ज किए गए। आंकड़ों के अनुसार 5 मई को करीब 3 मिलियन और 6 मई को 5 मिलियन हमले हुए। वहीं 7 से 10 मई के बीच हमलों की संख्या बढ़कर 15 मिलियन तक पहुंच गई। यह लगातार बढ़ता आंकड़ा साफ दिखाता है कि हैकर्स सरकारी डिजिटल सिस्टम को तोड़ने के लिए संगठित तरीके से प्रयास कर रहे हैं।
आईटी विभाग के सूत्रों के मुताबिक अब तक साइबर हमले मुख्य रूप से रूस और नॉर्थ कोरिया से होते रहे थे। लेकिन हाल के दिनों में इसमें अज़रबैजान, तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों की भागीदारी भी सामने आई है। इस नए पैटर्न ने सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है क्योंकि अब खतरा बहुआयामी और ज्यादा आक्रामक हो गया है। इससे न सिर्फ डेटा चोरी बल्कि सरकारी नीतियों और कामकाज पर भी असर पड़ सकता है।
हालांकि, महाराष्ट्र सरकार ने साइबर हमलों से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं। मंत्रालय फिलहाल सिक्योर नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा है और कुछ विशेष साइबर टूल्स लगाए गए हैं, जो संदिग्ध लिंक, IP एड्रेस और हमलावरों की पहचान कर हमलों को निष्क्रिय करने का काम कर रहे हैं। साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि डिजिटल इंडिया के दौर में सरकारी सिस्टम पर ऐसे हमले एक बड़ा खतरा हैं और यह प्रशासनिक कामकाज को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए महाराष्ट्र आईटी विभाग ने साइबर सुरक्षा पर चौकसी और सख्ती और बढ़ा दी है।





