मुंबई पुलिस ने एक बड़े साइबर फ्रॉड का खुलासा करते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने खुद को दुबई स्थित एक निवेश कंपनी का अधिकारी बताकर 65 वर्षीय व्यवसायी से 5.24 करोड़ रुपये की ठगी की। पुलिस के मुताबिक, यह धोखाधड़ी अक्टूबर 2023 से मार्च 2024 तक चली। सबसे पहले, एक आरोपी ने पीड़ित को फोन किया और खुद को निवेश कंपनी का कर्मचारी बताया। उसने आकर्षक रिटर्न का लालच दिया और बाद में कंपनी के कथित निदेशक ने भी व्यवसायी से बातचीत की। प्रति माह 10 प्रतिशत मुनाफे और शेयर देने का वादा कर आरोपियों ने पीड़ित को निवेश के लिए राजी कर लिया।
मुंबई में 5.24 करोड़ की साइबर ठगी का पर्दाफाश
नवंबर में व्यवसायी ने पहली बार निवेश किया, लेकिन रकम सीधे एक व्यक्तिगत खाते में चली गई। जब उसने इस पर सवाल किया, तो आरोपियों ने भरोसा दिलाया कि यह सिर्फ एक कर्मचारी का खाता है और पूरी रकम कंपनी तक पहुंच जाएगी। इस आश्वासन के बाद पीड़ित ने अगले चार महीनों में कुल 5.24 करोड़ रुपये का निवेश कर दिया। मार्च में ठगी का असली चेहरा सामने आया, जब आरोपियों ने व्यवसायी को दुबई बुलाया। वहां जाकर उसे पता चला कि जिस कंपनी का नाम बताया गया था, उसका कोई अस्तित्व ही नहीं है। आरोपियों ने बार-बार झूठी कहानियां गढ़ीं और फर्जी चेक व डिमांड ड्राफ्ट भी थमा दिए।
पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों में आर. मेनन (35), मणिकंदन (32) और एच. पांडी शामिल हैं। इन पर मुंबई के अलावा बेंगलुरु, चेन्नई, पुणे और केरल में भी इसी तरह की शिकायतें दर्ज हैं। जांच में सामने आया है कि गिरोह अब तक करीब 65 करोड़ रुपये की ठगी कर चुका है। उनका तरीका बेहद सुनियोजित था—पहले संभावित निवेशकों को फोन करना, ऊंचे मुनाफे का लालच देना, फिर नकली दस्तावेज, फर्जी वेबसाइट और झूठी बैठकों के जरिए भरोसा जीतना। जब निवेशक बड़ी रकम लगा देता, तो ठग गुमराह करने लगते या फर्जी कागजात थमा देते।
मुंबई पुलिस ने लोगों को सतर्क करते हुए कहा कि किसी भी प्रकार का निवेश करने से पहले कंपनी की विश्वसनीयता की पूरी जांच करनी चाहिए। अधिकारियों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल साइबर अपराधियों की बढ़ती सक्रियता को दिखाती हैं, बल्कि निवेश से पहले पूरी तरह जांच-पड़ताल की सख्त जरूरत पर भी जोर देती हैं। पुलिस अब इस गिरोह से जुड़े अन्य सदस्यों और नेटवर्क की तलाश में जुटी है।





