मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी की तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही हैं। इस साल यह पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा, जिससे दस दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव की शुरुआत होगी। हर साल की तरह इस बार भी श्रद्धालु बप्पा के स्वागत के लिए उत्साहित हैं। पंडाल सजाए जा रहे हैं और मूर्तियों की स्थापना की तैयारी जारी है।
गणेश उत्सव के लिए खास निर्देश
गणेश उत्सव को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने खास निर्देश जारी किए हैं। इस बार पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए सरकार ने सभी नगर निगमों, नगर परिषदों और पंचायतों से कहा है कि वे अपने क्षेत्र में कृत्रिम तालाब बनवाएं। खासतौर पर 6 फीट तक की गणेश मूर्तियों का विसर्जन इन्हीं तालाबों में कराने की व्यवस्था की जाए।
दरअसल, अब भी कई मूर्तियां प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनाई जाती हैं, जो पानी में घुलती नहीं हैं और इससे नदियों, झीलों और समुद्रों में प्रदूषण फैलता है। इस नुकसान को रोकने के लिए सरकार और अदालत अब इस पर सख्ती बरत रही हैं। POP की मूर्तियां विसर्जन के बाद लंबे समय तक पानी में तैरती रहती हैं और इससे जलीय जीवन को भी खतरा होता है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्या कहा?
24 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी इस मुद्दे पर राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिए। कोर्ट ने पुराने मामलों का हवाला देते हुए कहा कि POP से बनी मूर्तियों का विसर्जन रोका जाए। इसके बाद राज्य सरकार ने सभी स्थानीय निकायों को निर्देश दिया कि वे इन गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करें और विसर्जन को केवल तय स्थानों पर ही कराएं।
सरकार ने यह भी अपील की है कि लोग छोटे आकार की गणेश मूर्तियों को प्राथमिकता दें। जहां बड़ी मूर्तियां स्थापित की गई हैं, वहां प्रतीकात्मक रूप से छोटी मूर्ति का विसर्जन करने की सलाह दी गई है। इससे ना केवल पर्यावरण को बचाया जा सकेगा, बल्कि मूर्ति विसर्जन की प्रक्रिया भी सुगम होगी। हर गांव और शहर में पर्याप्त कृत्रिम तालाब बनाने के निर्देश दिए गए हैं ताकि 6 फीट तक की मूर्तियों का विसर्जन केवल उन्हीं में हो।





