महाराष्ट्र के बहुचर्चित करनाला नगरी सहकारी बैंक घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। ईडी ने करीब 380 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त कर महाराष्ट्र सरकार के नामित प्राधिकरण को सौंप दिया है। अब इस राशि का वितरण बैंक के लगभग 5 लाख पीड़ित जमाकर्ताओं में किया जाएगा। यह बैंक पनवेल स्थित है और इसके पूर्व चेयरमैन विवेकानंद शंकर पाटिल पर फर्जीवाड़े और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप हैं।
ईडी का बड़ा एक्शन
ईडी ने बताया कि पाटिल ने बैंक के फंड को अपनी और अपने परिजनों की संस्थाओं में डायवर्ट किया। इन पैसों से रायगढ़ जिले में कई जमीनें और संपत्तियां खरीदी गईं। जांच में सामने आया कि करनाला चैरिटेबल ट्रस्ट, करनाला स्पोर्ट्स अकादमी और महिला रेडीमेड गारमेंट कोऑपरेटिव सोसाइटी जैसी संस्थाओं में फर्जी लोन खातों के जरिए पैसा भेजा गया। ईडी ने 2021 और 2023 में दो बार कार्रवाई करते हुए कुल 386 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कीं और अगस्त 2021 में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई।
560 करोड़ रुपये की हेराफेरी
यह मामला फरवरी 2020 में पुणे पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा दर्ज एक FIR पर आधारित है, जिसके तहत पाटिल और अन्य अधिकारियों ने RBI के नियमों की अनदेखी कर 63 फर्जी लोन अकाउंट खोलकर करीब 560 करोड़ रुपये की हेराफेरी की। इसके चलते बैंक डूब गया। RBI ने 2019-20 में बैंक का ऑडिट कर फर्जीवाड़ा उजागर किया। इसके बाद कोर्ट ने 22 जुलाई 2025 को आदेश जारी कर संपत्तियों की नीलामी और रकम के वितरण की प्रक्रिया शुरू करने को कहा।
बैंक के लिक्विडेटर ने PMLA की धारा 8(8) के तहत कोर्ट में अर्जी दी थी, जिस पर ईडी ने सहमति दी। अब पनवेल की करनाला स्पोर्ट्स अकादमी और रायगढ़ की जमीनों की नीलामी कर पैसे जमाकर्ताओं को लौटाए जाएंगे। PMLA कानून के तहत कोर्ट ट्रायल से पहले भी पीड़ितों को राहत दी जा सकती है, और इसी का फायदा अब जमाकर्ताओं को मिलने वाला है।





